खुद को लोकतंत्र का रक्षक बताने वाले ही निकले भक्षक….

ujjaval jainउज्ज्वल जैन , सरवाड़ । जन आन्दोलन से उभरी आम आदमी पार्टी , जो लोकतान्त्रिक राजनीती को जीवित रखने के उद्देश्य से पनपी,उसी पार्टी पर अंर्तकलह उजागर होते ही अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती आ गयी है । भारी बहुमत के साथ सबको चौकाने वाले अरविन्द केजरीवाल ने परिणाम के दिन एवम शपथ ग्रहण के दिन कार्यकर्ताओ अभिमान मुक्त रहने की सलाह दी थी , लगता है अब वे खुद ही उस पर काबिज़ नही है ।
खुद को कांग्रेस एवम भाजपा से अलग बताते हुए एक व्यक्ति की तानाशाही का विरोध करने वाली आम आदमी पार्टी अपने ही सिद्धांतो की वादाखिलाफी कर रही है एवम ये साबित कर दिया है कि आम आदमी पार्टी में केजरीवाल की जय जयकार करनी होगी , यदि किसी ने केजरीवाल का विरोध किया तो जो हालत योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण की हुयी , वहीं उसकी होगी ।
मारपीट,गाली-गलौच पर उतारू होने वाले पार्टी के सदस्यों से क्या उम्मीद की जा सकती है ??
आम आदमी के खून-पसीने से सिंची पार्टी के कर्णधारो का ही चरित्र परिवर्तन हो तो इसके अस्तित्व डगमगाने में कोई संकोच नही है । यादव और भूषण जैसे अनुभवी एवम जी तोड़ मेहनत कर पार्टी को इस मुकाम पर पहुचाने वाले कार्यकर्ताओ के साथ यह सलूक किया गया तो जनता इनसे क्या उम्मीद कर सकती है।
पार्टी बैठक में गुंडागर्दी , मारपीट , गाली-गलौच पर उतारू होने वाली पार्टी के क्रन्तिकारी मेतो को देश बदलाव की नही बल्कि खुद में बदलाव की आवश्यकता है ।
यह घटनाक्रम को देखकर जनता को तो यह लगने गया की राजनीती में उम्मीद का एक चिराग जला मगर वो भी बुझने के कगार पर आ गया है ।

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