
जी हां प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2008 में शुरू की गई सरकारी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों को हाईटैक करने के उद्देश्य से आईसीटी योजना टोंक जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की अनदेखी और लापरवाही की भेंट चढ़ गई लेकिन लगातार कम्प्यूटर शिक्षा के पेपर विद्यार्थियों से लिए जा रहे है….क्या है पूरा माजरा दिखाते है इस खास रिपोर्ट में….
उच्च व कम्प्यूटर शिक्षा के सरकारी दावे टोंक जिले में बौने साबित हो रहे है…जिले के करीब 307 विद्यालयों में से करीब 146 विद्यालयों में कम्प्यूटर ही नहीं है….लेकिन फिर भी सालों से परीक्षाएं ली जा रही है…वहीं सूत्रों की माने तो करीब दर्जनभर विद्यालयों मे से तो कम्प्यूटर ही चोरी हो गए…..हालांकि शिक्षा विभाग के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी की माने तो जिले में संचालित माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आईसीटी योजना वर्ष 2008 में संचालित की थी…जिसमें तीन अलग-अलग चरणों में कम्प्यूटर लैब स्थापित की गई है… जहां कम्प्यूटर लैब वहीं पर परीक्षा आयोजित की जाएगी…वहीं अतिरिक्त जिला शिक्षाधिकारी सीताराम जांगिड़ खुद इसे बड़ी लापरवाही मानते है साथ ही लापरवाही पर सफाई देते हुए कहा कि जिन विद्यालयों में कम्प्यूटर नहीं है उन विद्यालयों में सैद्धांतिक परीक्षा का आयोजन किया गया और जिन विद्यालयों में कम्प्यूटर लैब संचालित है वहां प्रायोगिक और सैद्धांतिक दोनों परीक्षा विद्यार्थियों की ली गई।
प्रदेश में वर्ष 2008 में शुरू हुई राज्य सरकार ही बहुउद्देश्य योजना की पूरी कहानी यू है कि इन्फोर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टैक्नोलॉजी आईसीटी योजना शुरू की गई….
इसके तहत प्रदेशभर की माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कम्प्यूटर लैब स्थापित की गई थी…जिसमें अनुबंध के आधार पर कम्प्यूटर निदेशक भी नियुक्त किए थे….शिक्षा विभाग के अनुसार कम्प्यूटर लैब की तीन चरणों मे स्थापना की गई…पहले चरण में 64 विद्यालयों में…दूसरे चरण में 2010 में 50 और तीसरे चरण में 2014 में 54 विद्यालयों में लैब की स्थापना की गई….प्रथम चरण पूरा होने पर कम्प्यूटर शिक्षा विद्यालय प्रशासन के सुपुर्द कर गई लेकिन दूसरे चरण में अनुदेशकों की मांग से इसकी अवधि बढ़ा दी गई….अन्य मॉडल स्कूलों में भी कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है…लेकिन सिर्फ कागजों में…..जिले के करीब 146 विद्यालयों मेंं विद्यार्थी कम्प्यूटर शिक्षा से कोसों दूर है….जबकि यहां भी अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाओं का नियमित आयोजन होता रहा है….शिक्षा विभाग मे लीपापोती का यह खेल नया नहीं है शिक्षा अधिकारी और जिन एजेंसियों द्वारा यह कम्प्यूटर लैब स्थापित की गई लेकिन इनकी देख रेख की जिम्मेदारी समय रहते नही दिखाई….और कम्प्यूटर कबाड़ हो गए…जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई… लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि टोंक जिले के लापरवाह अधिकारियों पर राज्य सरकार कोई कठोर कार्रवाई कर पाती है…या यह लीपापोती का खेल यू ही चलता रहेगा…
टोंक से पुरूषोत्तम जोशी की रिपोर्ट