फिर होगी एक रुपए प्रति‍ मिनट कॉल दरों की वापसी

mobile chori 01नई दि‍ल्‍ली। एक रुपए प्रति‍ मि‍नट की महंगी कॉल रेट का दौर दोबारा वापस सकती हैं। स्‍पेक्‍ट्रम नीलामी में टेलीकॉम कंपनि‍यों की ओर ऊंची बोली लगाई गई। इसके बाद अनुमान जताया जा रहा है कि‍ अगले 8-10 महीनों के भीतर कंपनि‍यां अपना बोझ बढ़ती कॉल दरों के रूप में ग्राहकों पर डाल सकती हैं। कॉल रेट पर दिए जा रहे डिस्काउंट खत्म होने का सिलसिला जल्द शुरू हो सकता है। टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) का भी मानना है कि‍‍ कंपनियों की स्पेक्ट्रम लागत 12-15 फीसदी बढ़ सकती है, जिसका बोझ वे समय के साथ ग्राहकों पर डालेंगी।

दोबारा लौटकर आएगा 1 रुपए प्रति‍ मि‍नट का दौर
सेल्‍यूलर ऑपरेटर्स एसोसि‍एशन ऑफ इंडि‍या (COAI) के डीजी राजन मैथ्‍यू का कहना है कि अगले 8-10 महीनों में मोबाइलकी कॉल रेट दोबारा एक रुपए प्रति मिनट के स्‍तर पर पहुंच सकती हैं। मौजूदा समय में कॉल दरें 48-50 पैसा प्रति‍ मिनट के करीब हैं। टेलीकॉम कंपनि‍यों को स्पेक्ट्रम के लिए भारी निवेश करना पड़ रहा है। जिसकी वजह से कॉल रेट बढ़ाने का दबाव है। इतना ही नहीं, अगले कुछ महीनों में कंपनि‍यां डिस्काउंट में कमी कर सकती है। इसके बाद 9 से 12 महीनों में कॉल रेट में 12-15 फीसदी तक बढ़ोतरी संभव है। अगर सलाना 5 से 6 फीसदी महंगाई को भी देखें तो कॉल रेट में 7 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है।

सरकार की राय अलग
पिछले दिनों संचार एवं सूचना प्रौद्योगिक मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि इस नीलामी से टेलीकॉम ऑपरेटरों पर प्रति मिनट 1.3 पैसे का मामूली भार पड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि स्पेक्ट्रम में ऊंची बोली लगने से कॉल दरों में बढ़ोतरी होने की खबरें आ रही हैं, जबकि आंकड़ों के विश्लेषण से कंपनियों पर मात्र 1.3 पैसे प्रति मिनट का भार पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश में अभी 97 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं और औसतन एक उपभोक्ता हर महीने 350 मिनट कॉल करता है। इस तरह से कुल मिलाकर एक वर्ष में चार लाख सात हजार 400 मिनट की कॉल होती है, जिससे दूरसंचार कंपनियों को दो लाख करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व मिलता है।

सबसे ज्यादा बोली वोडाफोन, आइडिया और एयरटेल ने लगाई
टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार नीलामी में वोडाफोन को 25 हजार 959 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। इसके बाद एयरटेल को 29 हजार 310 करोड़ रुपये पूंजी चुकानी होगी। इसी तरह आइडिया को 30 हजार 360 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। इसके अलावा रिलायंस जिओइंफो कॉम को 10 हजार 80 करोड़ रुपये, टाटा टेली सर्विसेज को 7851 करोड़ रुपये, रिलायंस कम्युनिकेशंस को 4299 करोड़ और एयरसेल को 2250 करोड़ रुपये चुकाने होंगे।

कंपनियों पर था दबाव
एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया पर सबसे ज्यादा स्पेक्ट्रम खरीदने का दबाव था। ऐसा इसलिए था कि उन्हें 1995 में मिले विभन्न सर्किल में मिला लाइसेंस नवंबर 2015 में खत्म हो रहा था। ऐसे में कंपनियों के ऊपर दबाव था, कि वह पुराने लाइसेंस को दोबारा खरीदें नहीं तो उनके मौजूदा ग्राहकों की सेवाएं प्रभावित होंगी। इसकी वजह से 19 दिनों तक चली नीलामी में 2जी स्पेक्ट्रम के लिए कंपनियों ने ऊंची बोली लगाई है।

error: Content is protected !!