अजमेर के प्रशासनिक अधिकारियों में इस बात का भय है कि कोटा नगर निगम के आयुक्त भागीरथ के साथ जो दुव्र्यवहार हुआ है, वैसा हादसा अजमेर में भी हो सकता है। इस आशंका के मद्देनजर ही 20 अप्रैल को आरएएस एसोसिएशन की ओर से जिला कलेक्टर आरुषि मलिक को एक ज्ञापन दिया गया। एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष और अजमेर नगर निगम के सीईओ सी.आर. मीणा ने कलेक्टर से कहा कि कोटा के हादसे से प्रशासनिक अधिकारियों में भय का वातावरण है। प्रशासनिक अधिकारी तभी स्वतंत्र रूप से कानून की पालना करवा सकते है जब उनहें सुरक्षा मिले। ज्ञापन में उन लोगों को गिरफ्तार करने की मांग की गई जिन्होंने आयुक्त भागीरथ के साथ दुव्र्यवहार किया। 20 अप्रैल को अजमेर के प्रशासनिक अधिकारियों ने काली पट्टी बांधकर जिस प्रकार अपनी एकजुटता दिखाई उसे विगत दिनों एक घटना से जोड़ कर देखा जा रहा है। सरकार के एक मंत्री ने सर्किट हाऊस में नगर निगम के अधिकारियों को बुलाया और निर्देश दिए कि अवैध निर्माणों को तोडऩे अथवा सीज करने का जो अभियान चला रखा है उसे बंद कर दिया जाए। अधिकारियों की माने तो मंत्री ने धमकाने वाले अंदाज में ही निर्देश दिए। कुछ ऐसा ही व्यवहार कोटा में पूर्व मंत्री और भाजपा के विधायक भवानीसिंह राजावत भी अधिकारियों के साथ कर रहे हैं।
पीते रहे दूषित पानी
अजमेर कलेक्ट्रेट के अधिकारी और कर्मचारी पिछले कई वर्षो से दूषित पानी पी रहे है। 20 अप्रैल को जब कर्मचारियों ने कामकाज ठप करने की धमकी दी तो पानी के टेंक की सफाई करवाई गई। टेंक से कई किलों पेड़ों की जड़े और मक्खी, मच्छर, छिपकली आदि बाहर निकले। जिस कलेक्ट्रेट की जिम्मेदारी जिलेभर के लोगों को शुद्ध पानी पिलाने की है उस कलेक्ट्रेट के अफसर और कर्मचारी स्वयं ही गंदा पानी पी रहे है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511