पीएम नरेन्द्र मोदी ने 22 अप्रैल को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सालाना उर्स के दौरान पवित्र मजार पर सूफी परंपरा के अनुरूप अपनी ओर से चादर पेश करवाई। मोदी ने अपनी चादर को केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर अजमेर भेजा। नकवी ने इस अवसर पर पीएम मोदी का संदेश भी पढ़ कर सुनाया। जिसमें कहा गया कि ख्वाजा साहब के उर्स पर उनके सभी चाहने वालों को मुबारक बाद। मोदी इस समय देश के पीएम की कुर्सी पर बैठे हैं। ख्वाजा साहब के उर्स में देश के पीएम की ओर से चादर चढ़ाए जाने की परंपरा रही है। इसी सरकारी परंपरा को मोदी ने भी निभाया है। लेकिन देश के जागरुक लोगों ने जहन में वे दृश्य आज भी हंै, जिसमें गुजरात के सीएम रहते हुए एक सर्वाजनिक समारोह में नरेन्द्र मोदी ने एक मौलवी के हाथों टोपी पहनने से इंकार कर दिया था। इसके बाद राजस्थन के विधानसभा चुनाव के दौरान जब नवम्बर 2013 में मोदी भाजपा का प्रचार करने के लिए अजमेर आए तब भी यहां ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत करने के लिए नहीं गए। शायद तब मोदी को अपनी छवि एक हिन्दूवादी नेता के रूप में दिखानी थी। मोदी ने अजमेर के पटेल मैदान पर जो भाषण दिया, उसी का नतीजा रहा कि अजमेर जिले की सभी आठ सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत हो गई। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में तो मोदी प्रचार करने के लिए अजमेर आए ही नहीं और भाजपा प्रत्याशी सांवरलाल जाट ने कांग्रेस के दिग्गज सचिन पायलट को एक लाख मतों से हरा दिया। लेकिन अब वही मोदी यहां पवित्र मजार पर अपनी ओर से चादर पेश कर रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511