केन्द्र सरकार की ओर से जागो ग्राहक जागो अभियान के अन्तर्गत 9 मई को समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया है। इस विज्ञापन में कहा गया है कि खाद्य पदार्थाे में मिलावट की जा रही है। यह भी बताया गया है कि काली मिर्च में पपीते के बीज, अनाज में कंकड़, मावे में स्टार्च, रबड़ी में ब्लॉटिग पेपर, मिर्च पाऊडर में ईट का चूरा, दानेदार चीनी में चॉक पाऊडर, मक्खन में मसले हुए आलू आदि मिलाया जा रहा है। सवाल उठता है कि जब सरकार को यह पता है कि किस खाद्य पदार्थ में क्या मिलावट की जा रही है तो सरकार ऐसे मिलावटखोरों के विरूद्ध कार्यवाही क्यों नहीं करती है? सरकार उपभोक्ताओं से कह रही है कि मिलावट की सामग्री न खरीदे लेकिन खुद मिलावटखोरों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रही। उपभोक्ता के पास ऐसे कोई लैब नहीं है जिसमें सामग्री खरीदने से पहले जांच की जा सके। जबकि सरकार के पास तो मिलावट खोरों को पकडऩे के लिए पूरा सिस्टम बना हुआ है। जब सरकार यह मान रही है कि मिलावटी खाद्य पदार्थ बिक रहे है तो फिर ऐसे तत्वों को पकड़ती क्यों नहीं है? जाहिर है कि सरकार और मिलावटखोरों के बीच सांठ-गांठ है। सरकार ऐसे विज्ञापन देकर सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से बच रही है। जहां तक ग्राहक को जागरूक करने का सवाल है तो ग्राहक को भी यह पता है कि बाजार में मिलने वाला सामान मिलावटी होता है। ग्राहक के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है जिसमें मिलावट खोरों के खिलाफ कार्यवाही की जा सके। जो जागरूक उपभोक्ता कभी मिलावट की शिकायत स्वास्थ्य विभाग में करता भी है तो कोई सुनवाई नहीं होती। समझ में नहीं आता कि सरकार अपनी ओर से बाजार में बिकने वाली सामग्री की जांच क्यों नहीं करवाती है। केन्द्र सरकार के इस विज्ञापन से साफ जाहिर है कि सरकार को मिलावट खोरों के बारे में पता है। अच्छा होता कि सरकार ऐसा भ्रामक विज्ञापन जारी करने के बजाय मिलावटखोरों के खिलाफ कार्यवाही करती।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511
