इसलिए हम यह कह सकते है कि संविधान की आत्मा धर्मनिर्पेक्षता से ईतर केवल दक्षिण पन्थी विचार धारा और कट्टरपंथी हिन्दुत्व के बल पर भारत में पहली बार ऐसी सरकार अस्तित्व में आई है जिसका एजेन्डा ही उग्र हिन्दुत्व के सहारे अगले बीस वर्ष तक देश के शासन को सम्भालने की तैयारियां चल रही है। और उसी कडी में अब वही प्रयोग एक बहुत ही शांतिपूर्ण राज्य हरियाणा जिसकी ७०:८०प्रतिशत आबादी केवल कृषि पर ही निर्भर है ।उस राज्य के मुख्यमंत्री भी उसी हिन्दुत्व की नर्सरी की पैदावार है जहाँ स्वयंसेवक को तो ब्रह्मचारी या अविवाहित रहने की दीक्षा दी जाती है परन्तु बाकी देशवासियों को कहा जाता है परिवार नियोजन को मारो गोली और बच्चे पैदा करो चार । अब उसी राज्य में गुजरात जैसे प्रयोग को दोहराया जा रहा है । जब फरीदाबाद के एक गावँ अटाली में एक छोटे से मन्दिर मसजिद विवाद में पूरे गावँ में २५ मई २०१५ को दो समुदायों में मार पीट और आगजनी की घटनाओं के बाद एक विशेष समुदाय के सारे लोग बल्लभगढ के पुलिस थाने में शरण लिये बैठे है । यह भी एक संयोग है या लोकतांत्रिक मूल्यों का महत्व जनता की समझ मे आ गया है जब जनता एक पार्टी विषेश को पूरे देश में तो प्रचन्ड बहुमत से विजयी बनाती है लेकिन देश की राष्ट्रीय राजधानी की सरकार मे केवल ७० में से केवल तीन सीट पर ही समेट देती है । इसलिए हमारा यह निश्चित मतहै कि देश में हिन्दुत्व की दुसरी प्रयोग शाला दे श की राजधानी दिल्ली के बगल में ही तैयार की जा रही है । जहाँ देश के अगले प्रधानमंत्री की दिक्षा मुख्यमंत्री प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री का राजनैतिक डी०एन०ए० भी बिलकुल वैसा ही है जैसा कि गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री का राजनैतिक डी०एन०ए०था। इसलिए अब उस बात में शक का कोई कारण नही है । अत: हो रहे घटनाक्रम और परिस्थितियों के अनुसार ही हम भी “घाघ” की तरह भविष्य वाणी कर सकते है कि देश का अगला प्रधानमंत्री हरियाणा प्रदेश में ही तैयार किया जा रहा है । s.p.singh ,/ meerut u.p
