(१)काला धन १००दिन में वापस लाया जायगा और प्रत्येक भारतीय के बैंक खाते में पन्द्रह लाख रुपया डाल दिया जायगा क्या यह हो पाया या ऐसा होना समम्व है शायद नहीं । इसलिए जब वायदा ही झूंठा किया तो आलोचना तो होनी ही है ।
(२) भ्रष्टाचार को समाप्त करना । हो सकता है कि श्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार के मन्त्रियों और मन्त्रालय द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया हो या काबू में कर लिया हो लेकिन पूरे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार अभी भी अपने चरम पर है। अगर किसी को सबूत चाहिए केन्द्र और राज्य सरकार के किसी भी कार्यालय व्याप्त भ्रष्टाचार आज कायम है ।
(३) महंगाई : मंहगाई के विषय सरकार कितने भी दावे करें और आँकडे प्रस्तुत करे कि थोक मंहगाई दर शुन्य से नीचे है । जनता आँकड़े नही खाती ञनता हकीकत में जिन्स खाती है और ये सब वस्तुएं बाजार में पैसों से मिलती है । और हकीकत में सभी खाद्य वस्तुओं के दाम २०१३/२०१४ की तुलना में २०१५में दो गुणा हो चुके है ।
(४) चूँकि मोदी सरकार ने अब तक जो भी कार्य किए है वह लोकलुभावन और दीर्घकालिक योजना के रूप मे ही है । और पूँजी पतियों के दीर्घकालिक लाभ के लिए ही है । कहने को वित्तमंत्री कहते है कि भूमिअधिग्रहण के बाद की योजनाओं के द्वारा दे श मे तीस करोड नौकरियाँ अगले तीस वर्ष में तैयार होगी । उनका यह कथन भी शायद पार्टी का जुमला ही साबित होगा ।
(५) वैसे भी में विनम्रता पूर्वक एक सवाल तो कर ही सकता हूँ कि अगर आप बाजार जाते हो और दैनिक उपभोक की वस्तुएं खरीदते हो तो एक वर्ष पहले और आज के भाव का मिलान अवश्य कर लेना । जहाँ तक बात भूमिअधिग्रहण की बात है पहले की सरकारो ने क्या किया क्या नहीकिया विषय यह है कि फिर आप भी वही गलत काम क्यों कर रहे हो। भूमिअधिग्रहण के बदले दो गणा या चार गुणा मुआवजा कोई खैरात नही है । सवाल यह है कि जब आप सब का साथ सब का विकास का नारा लगाते हो यह कहाँ का ईन्साफ है कि एक किसान से उसका और उसके परिवारकी जिविका का साधन छीन कर उसे चन्द रुपए देकर भिखारी बनाने पर क्यों तुले हो ।मोदी सरकार का पूँजी पतियों से प्यार केवल इसी बात से परिलक्षित होता है कि भूमिअधिग्रहण कानून जो अभी भी संसद की सैलैक्ट कमैटी के पास लबिंत फिर भी तीसरी बार अध्यादेश के द्वारा भूमिअधिग्रहण कानून को लागू किया गया आखिर क्यों ? क्या मजबूरी है । एक पूंजपति को उपकृत करने के लिए ७०से १००किसानो को उसकी जिविका से वचिंत करना न तो पहले उचित था और न आज की तारीख में उचित है । सरकार झूठ बोलती है क्योकिं जब रेल सडक और सभी सरकारी प्रोजेक्ट पी पी पी माडल पर बनने है तो सरकार को केवल अपना लेआउट प्लान देना चाहिए बाकी का का पी पी पी माडल पर कार्य करने वाले स्वंय ही जमीन अधिग्रहण करें ।
(६) हआज हम स्वतंत्र इसलिये १८९४ के संसोधित अधिनियम के द्वारा जो मूल रूप से अग्रेजो के द्वारा हम गुलामों की उन्नति /विकास के लिए बनाया गया था आज स्वतंत्र भारत में उसकी कोई आवश्यकता बिलकुल भी नही है। इसलिए विपक्ष पर आप का आरोप उचित नही क्योंकि विपक्ष का काम ही विरोध करना है ।यही सरकार जब विपक्ष में थी तब इसी प्रकार का विरोध करती थी । जैसा कि कबीर ने भी कहा था “निन्दक नियरे राखिये आंगन कुटी छवाय । बिन साबुन बिन तेल के निर्मल करे सुहाय ।।” सरकारें आती जाती रहती हैं जिन्हें हम और आप यानि कि जनता चुनती है । इसलिये सरकार की मालिक जनता है अत: सरकार किसी विषेश वर्ग ध्यान मे रख कर जनविरोधी कार्य करेगी तो विरोध स्वभाविक ही है और हो ना भी चाहिए यही लोक तंत्र है । जय हिन्द । जय भारत ।। एस०पी०सिहँ /मेरठ