जनप्रतिनिधि ख़ास आदमी बन जाते हैं

kirti pathakहमारे देश की व्यवस्था की विडम्बना ये ही है कि जनता के वोट से जीत कर कार्यसम्पादन हेतु चुने गए जनप्रतिनिधि ख़ास आदमी बन जाते हैं …
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार कुछ गिनती के ही जनसेवक व जनप्रतिनिधि लाल बत्ती का उपयोग कर सकते हैं …
कोटा के कुछ साथियों ने एक मई 2015 को कोटा के पुलिस महानिरीक्षक को एक ज्ञापन सौंप कर लाल बत्ती के अनाधिकृत प्रयोग पर रोक लगाने हेतु कार्यवाही का आग्रह किया…
साथ ही उन के द्वारा कार्यवाही ना किये जाने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी भी दी …
कल कोटा में इसी आंदोलन के अंतर्गत कोटा उपमहापौर की गाडी को रोक कर लाल बत्ती हटाई गयी और पुलिस से चालान बनाने को कहा गया …
सत्ता के मद में मदहोश जनप्रतिनिधि को ये बात नागवार गुज़री और उन्होंने झूठे आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करवा दी जिस में कार के ड्राईवर को ज़बरदस्ती कार से निकालना और कार के शीशे तोड़ कर राजकीय संपत्ति को नुक्सान पहुँचाना आदि शामिल हैं …
आज कोर्ट में पेश कर उन्हें judicial custody में भेजा गया है …
मेरा आप सब से आग्रह है कि ये वीडियो देखें और तय करें कि क्या ये आरोप सही हैं ?
क्या गलत बात का विरोध करना गलत है ?
अगर हम सब मिलकर ऐसी गलत बातों का विरोध नहीं करेंगे तो देश में परिवर्तन कैसे आएगा ??
सभी भारतीय नागरिकों से आग्रह है कि इस का विरोध करें और निर्दोष साथी नागरिकों का साथ दें ….
-कीर्ति पाठक

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