नज़र

सीमा आरिफ
सीमा आरिफ
बिन कहे सब कुछ कहती है तेरी नज़र
मेरे होने का यक़ीन देती है तेरी नज़र

छूकर मेरे जज़्बातों को जाती है जो नज़र
ख़्यालों में मेरे छुपकर रहती है एक नज़र

मेरे न होने पर आलम -ए-दुनिया की न हुई जो
उसको मेरे दिल ने कहा है हाँ वो थी तेरी नज़र

एहसासों में खिल जाए जो मुस्कान के जैसे
मेरी साँसों में समा कर रहती है ऐसे तेरी नज़र

सीमा आरिफ़

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