रमेश चेलानी को लगा पार्षद बनने का चस्का

ramesh chelaniकहते हैं न जब तक हमने किसी वस्तु का स्वाद नहीं चखा तब तक उसके प्रति आकर्षण मात्र होता है, मगर यदि स्वाद चख लिया तो फिर शिद्दत की चाहत होती है। लगता है कि कुछ ऐसी ही हालत मनोनीत पार्षद रमेश चेलानी की हो गई है। आपको पता होगा कि जब तक वे पार्षद नहीं बनाए गए थे, तब तक राजनीति में कुछ खास रुचि नहीं लिया करते थे। केवल सिंधी विद्यार्थियों के उत्थान के लिए शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी से जुड़े थे। उनके सेवा भाव को देखते हुए देवनानी ने उन्हें मनोनीत पार्षद बनवा दिया। अब जब निगम के नए चुनाव होने हैं तो चेलानी किसी भी सूरत में चुना हुआ पार्षद बनना चाहते हैं। उन्होंने वार्ड 57 से भाजपा टिकट के लिए एडी चोटी का जोर लगा रखा है।
बताते हैं कि उनका साथ कुछ भामाशाह भी दे रहे हैं। वे खुद तो भामाशाह हैं ही। यानि कि उनके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं। कहने की जरूरत नहीं है कि इस वार्ड से पहला दावा मौजूदा पार्षद दीपेन्द्र लालवानी का ही बनता है। वे देवनानी के खासमखास हैं। शायद ही कोई ऐसा सार्वजनिक कार्यमक्रम ऐसा रहा हो, जिसमें वे देवनानी के साथ नजर न आए हों। उन पर किसी प्रकार का कोई आरोप भी नहीं है, ये बात अलग है कि जिन लोगों के काम नहीं हुए होंगे, वे उनसे नाराज हैं। कुछ कार्यकर्ता भी छिटके हैं। ऐसा होता ही है। जब आप किसी पद पर पहुंच जाते हैं तो अपेक्षा तो हर किसी की होती है, मगर सभी की पूरी की नहीं जा सकती। ऐसे में चंद लोग नाराज भी हो जाते हैं। लालवानी का दावा कुछ इस कारण भी कमजोर हुआ क्योंकि उन्हें संगठन में भी पद से नवाजा जा चुका है। इस कमजोरी को चेलानी भलीभांति जानते हैं। यही वजह है कि उन्होंने यहां से टिकट हासिल करने के लिए खम ठोक रखा है। वे यह भी जानते हैं कि यह वार्ड भाजपा के लिए कितना मुफीद है। यहां से भाजपा का टिकट ले लेना ही पार्षद बन जाने के समान है। अब देखने वाली बात ये होगी कि देवनानी अपने इन दोनों चहेतों में से किसे तरजीह देते हैं।
देवनानी खेमे के ही एक और दावेदार दौलत खेमानी हैं। पिछली बार उन्होंने भरपूर कोशिश की थी, मगर इस बार चुप हैं। उनके पास भी कार्यकर्ताओं की अच्छी टीम है। उनकी चुप्पी का राज क्या है, पता नहीं। कहीं वे ऐन वक्त पर किसी और चेहरे के लिए दावेदारी न कर दें? बाकी यहां वहीं प्रत्याशी होगा, जिसे देवनानी चाहेंगे।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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