टिकिट वितरण की पहली लड़ाई में ही बीजेपी से पिछड़ गई है कांग्रेस

राकेश भट्ट
राकेश भट्ट
अजमेर नगर निगम के चुनावो का शंखनाद हो चूका है । 5 अगस्त को नामांकन के आखिरी दिन उम्मीदवारों ने अपने समर्थको के साथ जमकर शक्ति प्रदर्शन भी किया । खास बात यह रही की टिकिट मिलने से वंचित रहने वाले नेताओ की नाराजगी से बचने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियो ने आखिरी पलो तक संस्पेंस बनाये रखा । ताकि कम से कम बागी उम्मीदवार खड़े हो ।
किसी भी चुनावी लड़ाई में सही उम्मीदवारों का चयन कर टिकिट वितरण करना ही सबसे अहम् माना जाता है । लेकिन जिस तरह से आखिरी एक घंटे तक भी कॉंग्रेसी उम्मीदवारों के टिकिटों में काट छांट की गई और आनन् फानन में उम्मीदवार बदले गए उससे कांग्रेस की मुश्किलें कम नहीं होगी बल्कि असंतोष और ज्यादा बढ़ेगा । पिछले 25 सालो से नगर निगम पर बीजेपी का कब्जा चला आ रहा है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस ने कोई सबक नहीं लिया और इस बार भी वह पूरी तरह से गुटबाजी में डूबी नजर आई । पार्टी नेताओ ने कई वार्डो में जीतने वाले उम्मीदवारों की बजाय अन्य नेताओ को निपटाने के लिए नोसिखियो को टिकिट दे दिए । गुटबाजी के चलते नौरत गुर्जर , ललित गुर्जर जैसे कई मौजूदा पार्षदों के टिकिट ही काट दिए जिन्होंने बीते पांच साल जनता के बीच काम करके अच्छी छवि बनाई थी और अगर इस बार भी मौका मिलता तो वे कड़ी टक्कर देने की स्थिति में थे । लेकिन कॉंग्रेसी नेताओ ने यह सीटें भी बीजेपी के सामने यु हीं परोस दी ।

जिन नोजवानो के ऊपर कांग्रेस ने भरोसा जताया है उन्हें चुनावी लड़ाई का कोई अनुभव ही नहीं है । वे बीजेपी के घाघ नेताओ को टक्कर भी दे पाएंगे इसमें संशय दिख रहा है । कल जब कलेक्टर कार्यालय में नामांकन भरे जा रहे थे तब मेने कुछ वरिष्ठ नेताओ से बात की तो उनका कहना था की इस बात हमने शहर की सारी गन्दगी साफ़ कर दी है । चुन चुनकर नेताओ को बाहर का रास्ता दिखाया गया है । वहीँ जिनको टिकिट नहीं मिल पाया उन्होंने भी बड़े नेताओ को कोसते हुए चुनावो में सबक सिखाने की बात कही । कुल मिलाकर टिकिट वितरण के बाद जो असंतोष दिख रहा है उससे यही संकेत मिल रहे है की इस बार भी गलत टिकिट वितरण करके कांग्रेस ने अपना बंटाधार कर लिया है । वह भी तब जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलेट की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है । मेरा व्यक्तिगत मानना है की पहली लड़ाई में ही कांग्रेस बीजेपी से पिछड़ चुकी है और यही वजह है की आगे की चुनौती उसके लिए अब आसान नहीं होगी ।

राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन

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