माननीय न्यायालय द्वारा निर्णय दियेे जाने के बाद से ही जैन समाज द्वारा और बुद्धिजीवियो द्वारा सोशियल मीडिया पे तीखी आलोचना और तर्क वितर्क ने गंभीर रूप ले लिया हे और पत्र पत्रिकाओ के माध्यम से अपना अपना नजरिया दे रहे हे और अपना विरोध प्रदर्शित कर रहे हे ।
अब जैन समाज के प्रमुख द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस फेशले के विरोध में अपील करने के एक मात्र रास्ता ही शेष बचा हे । अब केवल सुप्रीम कोर्ट से ही इन्हें राहत मिल सकती हे । अगर सुप्रीम कोर्ट इस फेशले को यथावत रखता हे तो जैन धर्म का पालन करने वालो को न्यायालाय का सम्मान करने के अलावा और कोई भी विकल्प नहीं बचेगा ।
हेमेन्द्र सोनी bdn ब्यावर
