सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति ही हमारी पहचान है

a2a1अजमेर। जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है, हमारी प्राचीनतम सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति ही हमारी पहचान है, सिन्ध केवल जमीन का एक टुकड़ा नहीं बल्कि हमारी सनातन धर्म व राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा का केन्द्र है। ऐसे विचार भारतीय सिन्धु सभा की ओर से स्वामी सर्वानन्द विद्या मन्दिर आषा गंज में सिन्ध स्मृति दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग सम्पर्क प्रमुख श्री निरंजन षर्मा ने कहे। सभा के प्रदेष महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि 1980 से लगातार देष भर में ऐसे आयोजन कर युवा पीढी को सिन्ध के गौरवमयी इतिहास का ज्ञान करवाया जाता है और हमे विष्वास है कि सिन्ध वापस मिलकर अखण्ड भारत बनेगा। विद्यालय प्राचार्या श्रीमति मनजीत कौर ने स्वागत भाषण करते हुये विद्यालय में सदैव ऐसे आयोजनो के लिये पूर्ण सहयोग की बात कही। कार्यक्रम की षुरूआत ईष्टदेव झूलेलाल, मां सरस्वती, भारत माता के चित्र व सिन्ध के मानचित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर किया गया।
विद्यार्थियों ने सिन्धी अबाणी ब्ोली – मां सरस्वती वंदना, हेमूं तो वधायो देष जो मान…….. अमित हरवानी, रिया मोनानी , रिया केवलाणी, हर्षिता ठाराणी,…. विद्यार्थियों ने देष भक्ति गीतों व नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमति रूकमणी वतवाणी ने किया और आभार रमेष लखाणी ने प्रकट किया।
कार्यक्रम में संगठन मंत्री मोहन कोटवाणी, भगवान पुरसवाणी, श्रीमति सुनीता भागचंदाणी, जयकिषन हिरवाणी, सिन्धी षिक्षा समिति भगवान कलवाणी सहित कई कार्यकर्ता उपस्थिति थे।
(मनजीत कौर)
प्राचार्य

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