अजमेर की स्वार्थी राजनीति का अजमेर की सड़कों पर नंगा नाच …
सामान्य सीट का मुद्दा ले कर अजमेर के भाजपा कार्यकर्ता बंटे ….
सही है …
मुद्दा गलत नहीं है …
परंतु
निकट भूतकाल पर ध्यान दें तो अजमेर की राजनीति में ऐसा घटित हुआ था …
तब ज़ुबान पर ताला था …
क्यों ??
आज लाला भाई के लिए इसे जीवंत कर लिया …
क्यों ??
क्या ज्ञान जी , जेके भैया , नीरज भैया सामान्य वर्ग के नहीं हैं ?
और क्या मेयर पद के लायक नहीं हैं ?
धर्मेन्द्र भैया , लाला भैया , ज्ञान जी भाई साब , जेके भैया और नीरज भैया सभी मेयर पद के दावेदार ही नहीं, लायक भी हैं …
परंतु अजमेर की स्वार्थी राजनीति से घृणा है
और
उस से ज़यादा अजमेर वासियों की कुम्भकर्णी निद्रा से घृणा है …
जब खुद मेयर को directly चुन सकते थे तब भी हम ने एक non worker को चुना
और
जब ये चुनने का right हम से छीना जा रहा था तो हम मुँह पर ताले लगा के बैठ गए …
अपने कर्तव्योंऔर अधिकारों की ओर से उदासीन अजमेर वासी आप हैं ही इसी लायक कि आप को ढोर ढंगर की तरह हांका जाए
और
आप किसी भी तानाशाही आचरण के तले मिमियाते रहें …
आज जो अजमेर की सड़कों पर खेल हो रहा है ये आप ही की उदासीनता की देन है …
आप सब को नमन …
मेयर ले लो मेयर …
मेयर ले लो साब …
बहुत बढ़िया हैं …
ये देखिये एक दो तीन चार पांच …
बहुत variety है अपुन के पास …
किसी के पास 19 तरह के फल हैं …
किसी के पास 12 तरह के …
ये फल कितने मीठे हैं इस की कोई गारंटी नहीं पर हाँ मौक़ा मिलने पर इन फलों में दूसरे फल भी मिला कर फ्रूट चाट बनायी जा सकती है ..
ये सब आप के खरीदने की ताकत पर निर्भर करता है …
जितना पैसा लगाओगे उतने ही फल पाओगे …
और
जितना पैसा लगाओगे आगे उस से कई गुना कमाओगे …
अजमेर का बाज़ार बहुत कमाऊ है और साथ ही टैक्स फ्री भी यानी कि किसी प्रकार की कोई रोक नहीं …
बस एक बार पैसा लगाओ और पूरे 5 साल कमाओ …
बोलो साब कौन सा मेयर लोगे ?
Kirti pathak
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