तानाशाह या तानाशाही ये शब्द ज़हन में आते ही
जर्मनी के भूतपूर्व शासक हिटलर का नाम दिमाग में
दस्तक देता है । वर्तमान परिस्थितियों में देश के एक
सूबे राजस्थान में भी तानाशाही के कांटेदार फुल
खिल रहे हैं तो अब हिटलर का नाम ओझल सा होने
लगा है क्योकिं सूबे की मुख्यमन्त्री वसुंधरा राजे
समय समय पर अपनी तानाशाही का एहसास करवा
रही हैं । ताज़ा घटनाक्रम में आज अजमेर नगर निगम के
मेयर पद के लिए हुए चुनाव में जिस तरह सत्ता का
गलत फायदा उठाया गया उससे तो महारानी की
तानाशाही जगजाहिर हुई है । बराबर मत पाने के
बाद लॉटरी से मेयर का फैसला हुआ जिसमे सुरेन्द्र
सिंह शेखावत को मेयर घोषित किया गया किन्तु
सत्ता के मद में मुख्यमन्त्री ने नाक का सवाल बना
नियम कायदों की धज्जिया उड़ा दूसरे प्रत्यासी
को विजेता बनवा दिया । फिल्मों में न्याय नहीं
अन्याय बोलकर जज़ के सामने मन की पीड़ा दर्शा
दी जाती है किन्तु यहाँ तो मन की व्यथा भी
किसके सामने दर्शाये जनता , जज़ और मुजरिम जब
एक भेष में द्विलिंगी शिखण्डी की तरह हो तो ।
आज न्याय करने वाला कोई नहीं है वैसे सुना है ऊपर
वाले के घर में देर है अंधेर नहीं , देर भी 3 साल मात्र
की शायद तब तक आमजन भी सक्षम हो जायेगा
न्याय करने के लिए ।
दादा के हक़ के लिए लडेंगे।।
गजेन्द्र सिंह डूमाडा
अजमेर जिलाधक्ष श्री राजपूत युवा परिषद् राजस्थान
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