अजमेर। संतो का संसार में आने से हमें सनातन संस्कार मिलते हैं साथ ही परिवार व संसार में कल्याणकारी सेवा करने की प्रेरणा भी देते हैं। पूरा जीवन धर्म, संस्कृति की सेवा करते हुये हमें त्याग की भावना के साथ चलने की राह बताते हैं। देष विदेष में प्रेमी गुनी आज भी उन्हे स्मरण करते हैं ऐसे आर्षीवचन श्री 108 महंत बाबा पारदास साहिब जी की वर्सी उत्सव पर ईष्वर मनोहर उदासीन आश्रम, अजयनगर में आयोजित धार्मिक आयोजन में महन्त स्वरूपदास उदासीन ने कहे। सेवाधारी षंकर सबनाणी ने बताया कि वर्सी कार्यक्रम में नितनेम के साथ संतो महात्माओं का सत्संग कीर्तन के बाद आरती, भोग के साथ आम भण्डारे का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर आश्रम के गौतम सांई, स्वामी रामदास जी, स्वामी आत्मदास जी, भाई फतनदास, लखू भाई के साथ अजमेर सिन्धी सेन्ट्रल महासमिति के अध्यक्ष नरेन षाहणी भग्त, भारतीय सिन्धु सभा के प्रदेष महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, अजयनगर सिन्धी समाज के अध्यक्ष भगवान कलवाणी, सिन्धी समाज महासमिति के अध्यक्ष कंवलप्रकाष किषनाणी, सिन्धु समिति अध्यक्ष भगवान साधवाणी, पार्षद मोहनलाल लालवाणी, पूर्व पार्षद खेमचन्द नारवाणी, भगवानदास, मोहन कल्याणी, प्रकाष जेठरा सहित कई सेवाधारी उपस्थित थे।