जब आप भारत की राजधानी दिल्ली में अगर कभी
घूमने आएँ तो आपको पता चलेगा कि आप “शाहजहां”
रोड़ से निकलकर “अकबर” रोड़ पर पहुँच जायेंगे..आगे
जाकर “बाबर” रोड़ पर मुड जायेंगे.. फिर “हुमायं” रोड़
पर सीधे चले जाइयेगा.. गोल चक्कर मिलेगा जहाँ से
आप “तुगलक” लेन में घुस जायेंगे फिर “औरंगजेब”
रोड़ पर आगे बढ़ेंगे तो “सफदरजंग” रोड़ आ जाएगी..
उसके बाद तुगलाकबाद एवं जामिया नगर होते हुए
कुतुबमीनार तक जाइए.. और जब इस सूफियाने माहौल
में दम घुटने लगे तो “सराय कालेखाँ” होते हुए
“निजामुद्दीन” रेलवे स्टेशन से अपने शहर की रेलगाड़ी
में बैठकर वापस घर आ जाएंगे लेकिन कहीं भी आपको
महापुरूषों का नामों निशान नही मिलेगा.. केवल देश
के लुटेरों , आक्रमणकारियों , गददारों और देश व धर्म
के दुश्मनों की ही स्मृतियाँ मिलेंगी…
# आखिर ऐसा क्यों
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