कालबेलियों की बस्ती में प्रत्येक घर में बनवाया शौचालय

जिले में इस वर्ष 78 हजार नये शौचालयों का निर्माण, गांवों में जारी है अभियान
अजमेर, 23 सितम्बर। अजमेर जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान में पुष्कर के पास गनाहेड़ा की कालबेलियांे की बस्ती में रहने वाले मोती सिंह ने मिसाल पेश की है। मोती सिंह ने जिला कलक्टर से वादा किया था कि बस्ती के हर घर में शौचालय बनवा दूंगा वरना अपनी मूछें कटवा लूंगा। उसने अपना वादा निभाया और बस्ती के प्रत्येक घर में सरकारी सहायता से शौचालय बनवाकर ही दम लिया।
जिला कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक ने बताया कि अजमेर जिले को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान को व्यापक जन समर्थन मिल रहा है। पिछले दिनांे गनाहेड़ा में अभियान के लिए सम्पर्क के दौरान कालबेलिया बस्ती में रहने वाले मोती सिंह ने बैठक में सबके सामने वादा किया की मैं अपनी बस्ती के प्रत्येक घर में शौचालय निर्माण करवाउंगा। मेरे क्षेत्रा को खुले में शौच के अभिशाप से मुक्ति दिलाउंगा। मोती सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं हो सका तो मैं अपनी मूछें कटवा लूंगा।
डाॅ. मलिक ने कहा कि मोती सिंह ने जो वादा किया उसे पूरा भी किया। गनाहेड़ा में कालबेलियों की बस्ती में आज प्रत्येक घर में शौचालय है। इसका पूरा श्रेय मोती सिंह और उनकी टीम को जाता है। जिन्होंने अपने समाज और क्षेत्रा को इस अभिशाप से मुक्ति दिलाने के लिए रातदिन एक कर समझाईश की और सभी घरों में शौचालय निर्माण कराया। इस क्षेत्रा में शौचालय निर्माण करवाने वाले प्रत्येक परिवार को 12 हजार रूपये की सरकारी सहायता राशि का भी भुगतान किया जा चुका है।
जिला कलक्टर डाॅ. मलिक ने बताया कि अजमेर जिले को खुले मंे शौच मुक्त बनाने तथा प्रत्येक घर में शौचालय निर्माण कार्य को व्यापक जन समर्थन मिल रहा है। जिले में इस वर्ष अब तक 78 हजार 119 शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है। जिले की 18 ग्राम पंचायतों को निर्मल ग्राम पंचायत घोषित किया जा चुका है। आगामी 2 अक्टूबर तक कई और ग्राम पंचायतों को निर्मल ग्राम घोषित कर दिया जाएगा। जिले की सरवाड़ पंचायत समिति को भी आगामी 31 अक्टूबर तक खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के लिए वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन बड़ी संख्या में शौचालय निर्माण का कार्य शुरू किया जा रहा है।
जिला कलक्टर ने बताया कि इस कार्य को जनप्रतिनिधियों और गांव के बड़े बुजुर्गों का भी सहयोग मिल रहा है। गांव में सरपंच, जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्य, प्रधान एवं गांवों के प्रभावशाली व्यक्तियों ने भी व्यक्तिगत रूचि लेकर यह कार्य शुरू करवाए हैं।

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