धर्म और संस्कृति पर गर्व करो

जैन स्थानक ‘षिर्डी’ में धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिनेष मुनि ने कहा
dinesh muni 1षिर्डी। श्रावक – श्राविका जिस भी धर्म संस्कृति से हो, उसके प्रति पूरी निष्ठा रखो। अपनी संस्कृति पर गर्व करो और उसके नियमों का पालन करो। हर मनुष्य को अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। यह विचार सलाहकार दिनेष मुनि ने शुक्रवार 25 सितम्बर को जैन स्थानक षिर्डी में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
सलाहकार दिनेष मुनि ने कहा कि तुम अपने पिता को बहुत मानते हो, लेकिन पिता की बात नहीं मानते, तो क्या पिता का वात्सल्य तुम्हें मिलेगा। ऐसे ही भगवान महावीर को तो बहुत मानते हो लेकिन जो उन्होंने कहा है वह नहीं मानोगे तो फिर कैसे बन पाओगे महावीर के भक्त। जैन कुल में मात्र जन्म लेने से ही जैन नहीं हो सकते। जैन तो वही है जो जिनेन्द्र को माने। फिर वह किसी भी धर्म का हो, क्योंकि जैन धर्म या भगवान महावीर मात्र जैन समाज की संपदा नहीं, वह तो जन-जन के हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो जैन धर्म के अनुयायी की तीन पहचान हैं। प्रथम प्रतिदिन गुरु दर्शन, दूसरा रात्रि का भोजन त्याग और तीसरा पानी छान कर पीना। फिर यदि वह भगवान महावीर को मानने वाला जैन तो हो सकता है, लेकिन उसे सच्चा जैनी बनने के लिए भगवान महावीर के सिद्धांतों को अपनाना होगा।
डॉ. द्वीपेन्द्र मुिन ने कहा कि जब संकट आता है तो दुनिया की कोई चीज उसे बचा नहीं सकती है। अगर कुछ काम आता है तो सिर्फ आपके किए गए पुण्य या धर्म ही काम आता है।

आठ उपवास के नियम लिये
प्रवचन सभा में श्रीमती रिंकू कुणाल कासलिवाल व सुमित किषोरचंद गंगवाल ने सलाहकार दिनेष मुनि से आठ उपवास के नियम ग्रहण किये।

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