क्या हम सिर्फ महापुरुषों की जयंती व पुण्यतिथि पर मालाएं चढ़ाना ही जानते हैं?

teerth gorani
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प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की रहस्यमय मृत्यु की जांच की मांग उठ रही है लेकिन सरकार अंतरराष्ट्रीय सम्बंध प्रभावित होने की दुहाई दे कर पर्दा उठाने से इनकार कर रही है .क्या इस इनकार से ऐसा नहीं लगता कि भारत के लोकप्रिय नेता की हत्या अंतरराष्ट्रीय ताकतों ने करवाई है जबकि इसके तार तत्कालीन अंदरूनी राजनीति से भी जुड़े हो सकते हैं . लालबहादुर शास्त्री हों या नेताजी सुभाष चंद्र बोस या ललित नारायण मिश्र या दीनदयाल उपाध्याय , ये सभी रहस्यमय मृत्यु के शिकार हुए और रहस्य अब भी बरकरार हैं . ये सभी नेता बेहद ईमानदार और लोकप्रिय थे और अपने समकालीन नेताओं से मीलों आगे थे . इन नेताओं की मौत को राज बनाए रखना सरकारों के लिये तो समझ में आता है मगर वो जनता क्यों खामोश है जिनके लिये वे मारे गये ? क्या हम सिर्फ महापुरुषों की जयंती व पुण्यतिथि पर मालाएं चढ़ाना ही जानते हैं या उन आदर्शों या सपनों के बारे में भी सोचेंगे जिनके लिये ये नेता शहीद हुए हैं ?
पत्रकार तीर्थ गोरानी की फेसबुक वाल से साभार

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