प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार पूरे देश में निकाली जा रही पंचक्रांति अभियान की रैली आज पुष्कर में भी निकाली गई । लेकिन आज की रैली में जो चीज पूरे पुष्कर के सामने उभरकर आई वो थी सत्ता और संघठन के बीच में पनप चुकी वो दूरियां । जो इतने दिन नेताओ के मन ही मन में बढ़ रही थी । चाहे युवा मोर्चा संघठन के अध्यक्ष अखिलेश पाराशर की नियुक्ति का मामला हो या फिर बीजेपी मंडल अध्यक्ष पुष्कर भाटी के पद का । पूरे पुष्कर को पता है की दोनों ही पदों पर जिन्हें नियुक्त किया गया उनकी नियुक्ति से सत्ता में बैठे नेता खुश नहीं है । पालिकाध्यक्ष और उनके समर्थक इन पदों पर अन्य नेताओ को नियुक्त करवाना चाहते थे । इसी के चलते ना चाहते हुए भी पुष्कर बीजेपी में सत्ता और संघठन के दो अलग अलग केंद्र हो चुके है ।
जिसकी झलक आज आयोजित हुई रैली में साफ़ देखने को मिली । बीजेपी मंडल और युवा मोर्चा के नेताओ और उनकी टीम के साथ कुछ असंतुष्ट पार्षदों ॐ प्रकाश पाराशर , शिव स्वरूप महर्षि सहित अन्य को छोड़ दे तो इनके साथ दूसरे कार्यकर्ता ही इस मौके पर नजर आये । जबकि सत्ता से जुड़े वरिष्ठ नेता एवम् बोर्ड के अन्य बीजेपी पार्षद या पार्षद पति कही नजर नहीं आये ।
इसे देखकर यह समझा जा सकता है की दोनों के बीच दूरियां कितनी बढ़ती जा रही है । आने वाले दिनों में बीजेपी के मनोनीत पार्षदों को लेकर इनमे और भी घमासान देखने को मिल सकता है । यह पुष्कर बीजेपी के लिए कतई अच्छे संकेत नहीं है । यदि समय रहते विधायक सुरेश रावत ने इस खाई को पाटने की कोशिश नहीं की तो हो सकता है आने वाले समय में इस फुट का सबसे ज्यादा खामियाजा भी विधायक महोदय को ही ना चुकाना पड़ जाए ।
राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन