पुष्कर मेला चंद दिनों दूर, झूलो वालो ने डरा डेरा

IMG-20151030-WA0006अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले के मात्र कुछ दिन शेष बचे हे इसी के चलते मेला क्षेत्र में झूले और अस्थाई दुकानदारो ने डेरा डालना शुरू कर दिया हे लेकिन अजमेर में ए सी कमरों में बैठकर बैठके करने वाले अधिकारी अभी भी कुम्भकर्ण की नींदों में सो रखे हे ।हालंकि कुछ तेयारिया लीपापोती के साथ तो शुरू हो गई हे लेकिन स्थानीय लोग वो तेयारिया देखना चाहते हे जिसको लेकर अधिकारी लम्बी लम्बी ढींगे हांकख रहे थे की इस बार पुष्कर मेला भव्य आकर्षक होगा इसके लिए करोड़ो रूपये का बजट भी पास हो गया हे लेकिन मेले के मात्र कुछ दिन शेष रह जाने के बावजूद अबकी बार तो पूर्व मेले से गई बीती लीपा पोती से तेयारिया हो रही हे फिर क्या आकर्षक करना चाहता हे हकीकत तो यह हे की हमारे पुष्कर विकास के रुपयों को आडम्बर (दिखावा) में रूपयो का जमकर दुरूपयोग किया जा रहा हे जबकि लोगो की मुलभुत समस्या सड़के साफ सफाई बिजली पानी पर बिलकुल ध्यान नही दिया जा रहा हे सबसे दुर्भाग्य की बात तो यह की करोड़ो रूपये विकास के आने के बावजूद आज पुष्कर में सुविधाजनक बस स्टैंड पार्क यात्रियों के ठहरने के लिए सस्ती दर पर धर्मशाला गऊशाला पार्किंग व्यवस्था रामधाम तिराए से ब्रह्मा मन्दिर के बिच यात्रियों के लिए बेठने तक की भी व्यवस्था नही हे और बाते करते हे विकास की हा विकास उनका जरुर हो रहा हे जो विकास की खुद लम्बी लम्बी ढींगे हांकख रहे हे जबकि धरातल पर जाकर देखे तो आज भी पुष्करवासी और बाहर से आने वाले यात्री मुलभुत सुविधाओ को जूझ रहे हे आज सडको के निर्माण कार्य में पेचवर्क के नाम पर लीपापोती की जा रही हे लेकिन कोई रोने धोने वाला नही जो रहा हे अच्छा हो रहा हे बस मोनी बाबा बनके देखते जाओ। हकीकत तो यह की पुष्कर मेले की व्यवस्थाओ की बैठक तक अधिकारी पुष्कर में नही करके अजमेर में अपने ए सी कमरों में गिने चुने लोगो के बीच कागजो में इतिश्री कर रहे हे लेकिन पुष्कर के स्थानीय लोगो से राय तक लेना भी मुनासिब नही समझते वेसे भी स्थानीय लोगो ने भी एक धारणा बना रखी हे की पांच दिन के मेले में कोंन आफत मोल ले जो हो रहा हे होने दो प्रशासन का मेला हे क्योंकि मेले में प्रशासन पूर्ण रूप से हेवी रहता हे और जमकर मनमानी करता हे।सुना हे इस बार शायद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आ रही हे तो शायद पुष्कर का कुछ उदार हो जाये।
अनिल पाराशर संपादक बदलता पुष्कर।

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