ज्ञातव्य है कि आपसी खींचतान के चलते उन्हें अरविंद यादव की कार्यकारिणी में स्थान नहीं मिल पाया था। असल में मौजूदा अध्यक्ष अरविंद यादव के ओबीसी का होने के कारण उनका रिपीट होना मुश्किल है। वजह ये है कि नगर निगम मेयर के चुनाव के दौरान शहर भाजपा में ओबीसी-सामान्य का विवाद हो चुका है। ऐसे में अगर उन्हें अध्यक्ष बनाया जाता है कि फिर विवाद हो सकता है। हालांकि उन पर सांसद भूपेन्द्र सिंह यादव का हाथ है। इसके अतिरिक्त पूर्व राज्य मंत्री श्रीकिषन सोनगरा के करीबी होने के कारण वे पार्टी के उपाध्यक्ष ओम प्रकाष माथुर लॉबी के माने जाते हैं। प्रादेशिक राजनीति के कारण यह लॉबी भी इस चुनाव में सक्रिय है। इस कारण किसी खास परिस्थिति में वे फिर अध्यक्ष भी बन सकते हैं। उधर बताया जाता है कि देवनानी खेमे के रमेष सोनी व सीताराम शर्मा भी दावेदारी कर रहे हैं। सोनी के साथ ओबीसी की समस्या है तो शर्मा की पकड कुछ कमजोर है। समझा जाता है कि पार्टी चुनाव करवाने की बजाय सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनाएगी। उसमें किस का नंबर आता है, ये आगामी 5 नवंबर को पता लग पाएगा।
