मगर जानते हैं यह दस करोड़ की विराट अफवाह सरकाने वाला कवि है कौन? वही सूक्तिकार, जिसने पहले यह अफवाह भी फैलाई थी कि मैंने डॉ नामवर सिंह के जन्मदिन समारोह में हल्की बात की और मेरी पिटाई कर दी गई, मैं घायल हो गया, अस्पताल जा पहुंचा आदि। मजा यह था कि जिस जगह का जिक्र किया गया, वहां और लेखक भी मौजूद थे जिन्होंने जानना चाहने वालों को सच्चाई भी बाद में बता दी।
तो आप क्या समझे थे कि अफवाहें फैलाने का काम संघ परिवार वाले ही करते हैं? या मुझसे, अशोक वाजपेयी आदि से संघ वालों को ही खुन्नस है? अजी, कुछ वामपंथी ‘साथी’ भी कम नहीं। हालाँकि मेरे वामपंथी मित्र ऐसे तत्त्वों को (अब) शायद वामपंथी मानने से इनकार करने लगें! लेकिन ऐसा इनकार ही तो संघ वाले करते हैं, जब उनके बन्दे पकड़े जाते हैं!
जनसत्ता अखबार के संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी के फेसबुक वॉल से.