जैसा की सर्विदित है , अभी 60 घंटे का संघर्ष , 1 कर्नल सहित 7 फौजियों की सहादत के बाद भी अभी तक यह सुचना नहीं है की पठानकोट एयरबेस पर कितने आतंकवादियों ने हमला किया था ? सरकार ख़ाली हाथ है ? और सुरक्षा बल अपनी क़ुरबानी देकर एयरबेस की सुरक्षा कर रहे है । अब तो यह सही लगने लगा है की बीजेपी के महासचिव सहस्त्रबुद्धे ने अभी हाल में ही यह कहा था की बीजेपी के पास टैलेंट की कमी है व्यक्ति और नेता बहुत भरे पड़े हैं ? शायद उनका यह दर्द सही प्रतीत हो रहा है ? जिसका नतीजा यह है की सरकार अभी तक यह बता पासी है की इसमें पाकिस्तान का हाथ है की नहीं ?
लापरवाह प्रधानमंत्री !
क्योंकि जब नरेंद्र मोदी जब 2013 में प्रधान मंत्री नहीं थे केवल अपनी पार्टी के उम्मीदवार थे और कीसी हीरो की मानिंद व्यहार कर रहे थे और अपने भाषणों में दहाड़ मार कर बोलते थे! ” पाकिस्तान को लव लैटर लिखना बंद करो ”
” अगर हमारे एक जवान का सिर कटेगा तो हम 10 पाकिस्तानियों का सिर लाएंगे” ” आतंकवादियों को उनकी ही भाषा में जवाब देना चाहिए” ॥ आदि आदि !
लेकिन ऐसा लगता है की प्रधान मंत्री बनने के बाद या तो वह पिछली सब बाते भूल गए है या अब यह सब कुछ करना उनके बस का नहीं है और हम समझें की यह उनका बड़बोला पन ही है ? क्योंकि छाती ठोंक ठोंक कर पाकिस्तान को धमकाने के बाद अचानक क्या हुआ की 25 दिसम्बर 2015 को रूस और अफगानिस्तान से लौटते समय बहुत ही रहस्यमय तरीके से और बिना उचित सुरक्षा व्यवस्था के लाहोर पहुँच कर पुरे विश्व को अचंभित कर दिया !
यह बात सौ प्रतिशत सही है क़ि मोर्चों पर फ़ौज ही लड़ाई लड़ती है और आफिसर नेतृत्व करते है लेकिन यह भी उतना बड़ा सच है कि आदेश सरकार का यानि राजनितिक होता है ! लेकिन हमने वर्तमान में यह देख सरकार नाम की कोई चीज कहीं दिखाई नहीं दे रही थी ! रक्षा मंत्री गोआ में अपने घर में थे, गृह मंत्री असमंजस में थे ! और प्रधान मंत्री धार्मिक और राजनितिक कार्यक्रमों में व्यस्त थे इतना ही नहीं पिछली सरकारों को पानी पी पी कर कोशने वाले प्रधानमंत्री हमले की सुचना के बाद भी दिल्ली से बंगलुरु पहुँच गए ?
अर्धविक्षिप्त मंत्री
3 जनवरी को देश के गृह मंत्री घोषणा करते है और ट्वीट करते है की 5 आतंकवादी मारे गए और आप्रेसन समाप्त हो गया है ! लेकिन जब पठानकोट के एयर बेस पर फिर से धमाके होने लगते है तो गृह सचिव बताते हैं कि आप्रेसन अभी जारी है । लेकिन कुछ भी हो हम आतंक वाद की किसी घटना को रोकने में असमर्थ तो है ही हम ही क्या पूरी दुनिया ही रोकने में असमर्थ है ! परंतु यह आश्चर्यजनक है की पठानकोट में होने वाली घटना की जानकारी सुरक्षा बालो और सरकार को पहले ही से थी ? लेकिन सब कुछ फेल हो गया !
लगता है सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है? क्योंकि प्रधान मंत्री सहित उनके मंत्री सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मसगूल रहे ! जहाँ नेतृत्व करना था वहां एक नौकर शाह मोर्चे पर था ? जिसका नाम है अजित डोभाल !
एस पी. सिंह। मेरठ