खबरों के संसार में खोए रहने वाले पत्रकारों की छिपी प्रतिभाएं अब सामने आने लगी हैं। अजयमेरू प्रेस क्लब में हर शनिवार को आयोजित होने वाली गीत संगीत, चुटकलों और किस्से, कहानियों कविताओं की महफिल में अब एक से एक प्रस्तुति होने लगी है। शनिवार 9 जनवरी 2016 की महफिल भी खूब जमी। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. रमेश अग्रवाल, अशोक शर्मा, राजेंद्र गुंजल सहित क्लब के सदस्यों ने एक से एक गीत सुनाए। आनंद शर्मा अज्ञात ने कविताएं सुनाईं।
डॉ. रमेश अग्रवाल की अनुभवी आंखों ने पढ़ लिया था कि क्लब के सदस्यों में अनेक प्रतिभाएं छिपी हुई हैं। इसीलिए उन्होंने हर शनिवार को महफिल आयोजित करने का फैसला किया था। 9 जनवरी को आयोजित महफिल में भी एक से एक प्रस्तुति दी गई। आज क्लब के वरिष्ठ सदस्य अशोक शर्मा का जन्म दिन भी था। शुरुआत उन्हीं से कराई गई। उन्होंने किशोर कुमार का बेहतरीन गीत-देखो ओ दीवानाें तुम ये काम ना करो, राम का नाम बदनाम ना करो बेहतरीन अंदाज में सुनाया। उन्होंने किशोर का ही एक और गीत-पल पल दिल के पास तुम रहती हो भी सुनाया। क्लब के युवा सदस्य और बेहतरीन फोटोग्राफर आनंद शर्मा अज्ञात इन दिनों हवा पर कविताओं की वृहद श्रृंखला लिखने में व्यस्त हैं। उनमे से कुछ हम तिनकों के सिवा कुछ भी नहीं, आते जाते काम से लौटते, तुम्हारा श्रृंगार अंगीकार सुनाकर उन्होंने श्रोताओं को हैरान कर दिया। उन्होंने एक गजल चांद के साथ कई दर्द पुराने निकले भी सुनाई।
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र गुंजल ने इस बार भी अपनी आवाज से हैरान किया- उन्होंने स्वर्गीय मोहम्मद रफी का एक बेहतरीन नगमा-मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे सुनाया। इसके बाद डॉ. रमेश अग्रवाल ने सिंथेसाइजर की मधुर धुन के साथ बहुत पुराना नगमा-नैन का चैन का चुराकर ले गई, कर गई नींद हराम सुनाकर श्रोताओं को भारतीय फिल्म जगत के कालजयी गीतों के दौर में पहुंचा दिया। योगेंद्र सेन ने-मुकेश का नग्मा-आजा रे अब मेरा दिल पुकारे और किशोर कुमार का सदाबहार गीत-दिल आज शायर है, और दिल गजल है सनम सुनाकर खूब दाद बटोरी।
मोहम्मद सलीम काफी देर तक ना नुकुर करते रहे, लेकिन जब माइक हाथ में थामा तो मोहम्मद रफी का पुराना नगमा-वादियां मेरा दामन, रास्ते मेरी बाहें सुनाकर ही वापस किया। सरदार सुरजीतसिंह लबाना भी गीत नहीं आता-गीत नहीं आता कहकर गाने के लिए इनकार करते रहे, लेकिन फिर मोहम्मद सलीम की राह पर ही चल निकले। लता मंगेशकर का बेहतरीन नगमा-बचपन की माेहब्बत को, दिल से ना जुदा करना सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। सरदार जीएस विरदी ने आज फिर बताया कि बंदे और आवाज में वाकयी दम है। उन्होंने शर्मा बंधुओं द्वारा गाया गीत-सूरज की गरमी से जलते हुए तन को मिल जाए तरूवर की छाया और भूपेन हजारिका का-दिल घूम घूम करे सुनाकर सुरताल का गजब परिचय कराया। विजय कुमार हंसराजानी भीड़ में सबसे पीछे बैठे थे, ताकि किसी की नजर ना पड़े। मगर उन्हें भी आखिरकार माईक हाथ में लेना ही पड़ा। किशोर कुमार की दर्दभरी आवाज में गाया गीत-तेरी दुनिया से होके मजबूर चला सुनाकर उन्होंने बताया कि वे जल्दी ही ऐसे हालात पैदा कर देंगे कि बाकी माइक को तरसेंगे। सबके अंत में प्रताप सिंह सनकत का नंबर आया। वे गानों पर टूट पड़े-मोहम्म्द रफी और लता मंगेशकर का सदाबहार गीत-रेशम की डोरी हो, कहां जइ हो निंदिया चुराके चोरी चोरी, तुम जो मिल गए हो तो ये लगता है, रैना बीती जाए शाम न आए और आजा तुझको पुकारे मेरे गीत सुनाए।
क्लब के अध्यक्ष एसपी मित्तल ने बताया कि गीत संगीत की अनूठी साप्ताहिक महफिल से न केवल क्लब में पारिवारिक माहौल बढ़ रहा है, बल्कि कई छिपी हुई प्रतिभाएं भी सामने आ रही हैं। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका सभी सदस्य पूरे हफ्ते बेसब्री से इंतजार करते हैं।
