करेगी, क्यों नहीं करेगी

-महिला का सम्मान जहां, खुशहाली वहां

बलराम हरलानी
बलराम हरलानी
अपने आप को बडे ही रोबदार बताने वाले पढे लिखे, बडी नौकरी पर थे मेरे नायक के सहकर्मी। रोज़ आफिस आते और अपनी पत्नी के लिऐ बहुत भला बुरा कहते। बोलते – करेगी क्यों नहीं करेगी, घर का सारा काम, हम परिवार वालों की सेवा और जो जो हम कहेंगें सब करेगी। मना करके तो देखे हाथ पकड कर बाहर नहीं कर दूं। आखिर घर का मालिक हूं। कोई मेहमान भी आजाये उसके सामने भी अपनी पत्नी से गन्दा बोलना और उसे हर तरह से यातनाऐं देना उस व्यक्ति की शान थी। उनकी पत्नी पढी लिखी, समझदार, सुशाील और सहनशील व्यक्तिव की धनी थी । बेकार ही झगडा हो या विवाद बडे, बहुत गरिमा व धैर्य रहने वाली थी ।
एक बार तो हद ही हो गई मेरे नायक और सभी सहकर्मियों को घर पर खाने पर बुलाया । कोई मदद नहीं उस महिला की, और नई नई फरमाईशें रख दी । बेचारी दिनभर बहुत मेहनत करने के बाद बहुत थक गई । साफ उनके चहेरे से थकान दिख रही थी । पर उनके पति का तो मूल मंत्र था – करेगी क्यों नहीं करेगी । पार्टी चालू हूई । भूल से एक महिला के हाथ से प्लेट गिर गई । झट से वह व्यक्ति अपनी पत्नी के पास गया और बोला झट से साफ कर दो फर्श को । वो बोली- सब चले जायें उसके बाद कर दूंगी । अच्छा नहीं लगेगा मैं पौचा लगाउंगी । मान जाओ ना ं। मेरा नायक यह संवाद सुन रहा था उसने उस व्यक्ति को समझाया – छोड ना यार । बाद में साफ हो जायेगा । पर वह बतमीज़ आदमी नहीं माना उस महिला का अपमान करते हुऐ उसका हाथ पकड कर साइड में ले गया और बोला – चल साफ कर अभी के अभी । मेरे नायक के मुंह का निवाला मुंह में ही अटक गया । अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी । मेरे नायक का तो मूल मंत्र था – महिला का सम्मान जहां, खुशहाली वहां । पर करे तो क्या करे ।
अत्याचार सहना भी गलत है । दो तीन दिन बाद वह महिला मेरे नायक से बाजार में टकरा गई । आखंे बचाती हुई वो तंग गलियों में छिपने का प्रयार करने लगी। पर मेरे नायक से देखा नहीं गया । उसे एक तरकीब सूजी । तुरन्त वो उस महिला के पास गया और बोला भाभीजी मैं जैसा जैसा कहता हूं आप करना । आप का वर्तमान और भविष्य सुधर जायेगा और आप आत्मग्लानि में जीवन व्यतीत नहीं करोगी ।
उसने उस महिला के पति को एक अनजान नम्बर से फोन मिलाया और बोला मैं एक स्वयं सेवी संस्थान से बोल रहा हुं हम महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जंग लडती है । आपकी पत्नी आपके खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने जा रही है । वो हकाबका रह गया । उसके होश उड गये । बोला वो ऐसा नहीं कर सकती । उसकी इतनी हिम्मत ही नहीं है । पर मेरे नायक ने उस महिला को इशारा किया बोला आपको पुछवा देता हुं । स्पीकर फोन आॅन करके – मेरा नायक बोला – बोलिये आप अपने पति के अत्याचारों के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाना चाहती हैं ना । वो बोली – हां, बस अब अति हो गई । उसकी आवाज़ सुन वह व्यक्ति पसीने पसीने हो गया । बोला – सोरी । घर पर बैठ कर सब सुलझा लेगें । तुम घर चली आओ प्लीज़ । मेरे नायक से रहा नहीं गया, तेज़ स्वर में बोला – रिपोर्ट करेगी क्यों नहीं करेगी । और यह कह कर फोन काट दिया । महिला कुछ घबराई पर मेरे नायक ने कहा बहन आज से मैं तुम्हारा भाई । हिम्मत से काम लो । भगवान सब ठीक करेगा ।
और भोले का भगवान है, वो व्यक्ति आफिस से घर आया, कुछ घबराता हुआ बोला – चलो आज मूवी देख आये, खाना भी बाहर ही खा लेगें । उसकी पत्नी कुछ बोलती उससे पहले उसने हाथ जोड पर माफी मांगते हुऐ कहा – अनजाने में मुझ से भूल हुई । भूल जाओ सब बातें ।
महिला ने मंदिर में बैठे भगवान और और मेरे नायक का तहे दिल से धन्यवाद किया ।
लोहा ही लोहे को काटता है ।
मेरा आप से निवेदन है कि हर हाल में महिला को पूरा मान सम्मान देवें और सदैव उनकेे सम्मान को बढायें ।

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