
क्योंकि ना तो यू पी ए की सरकार को और ना ही एन डी ए सरकार को आज तक यह नहीं मालूम की विदेशो में भारतियों का कितना काला धन जमा है ? और यह भी नहीं मालूम की देस में कितना काला धन है ? चूँकि भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय को यहबताया है की अनुमानित 500 बिलियन डॉलर, भारतियों का विदेश में जमा है ! लेकिन केंद्र सरकार के राजस्व सचिव बताते है कि या राशि 45 लाख करोड़ हो सकती है ? फिर एक बार आडवाणी जी ने भी कहा था कि यह राशि 50 – 60 लाख करोड़ के बराबर है, राजनाथ सिंह जी ने चुनाव प्रचार में कहा था यह राशि 25 लाख करोड़ है । फिर हर जगह टाँग अड़ाने वालें रामसेवक यादव उर्फ़ राम देव उर्फ़ योग गुरु रामदेव उर्फ़ स्वामी राम देव उर्फ़ व्यापारी राम देव अर्थ शास्त्री बोलते है की विदेशो में जमा काला धन 4 लाख हजार करोड़ रुपया है ? हद तो तब हो गई जब मौजूदा प्रधान मंत्री कहते थे कि अगर हम सत्ता में आये तो विदेशो में जमा काला धन वापस लायेंगे और 15 , 15 लाख रुपया सभी भारत वासियों के खाते में आ जायेगा ?
अब हम बात करते है फेयर एंड लवली स्कीम 2016 की लेकिन इससे पहले हम आपको बताये देते है क़ि NDA द्वारा प्रस्तावित यह स्कीम कोई पहली बार नहीं आ रही है इससे पहले वाली सरकारों ने भी इसी प्रकार की स्कीम अमल में लाई थी
1975 : VDIS 1975 जो 31 दिसम्बर को समाप्त हो गई थी जिसमे 1 करोड़ 15 लाख कर चोरों ने लाभ उठाया था और 744 करोड़ काले धन की घोषणा की थी तथा सरकार के पल्ले में 241 करोड़ का टैक्स आया था ? वित्त मंत्री थे सी सुब्रमण्यम और प्रधान मंत्री थीं श्रीमती इंदिरा गांधी ?
परंतु कालेधन पर अंकुश फिर भी नहीं लगा इस लिए 1981 में Special Bearer Bond Scheme 1981, लांच की गई , चूँकि भारत में न तो काला धन रखने वाले टैक्स चोर अपनी हरकतों से बाज आते हैं और ना ही सरकार इन पर अंकुश लगा पाती है , आप इसको ऐसे समझ सकते हैं कि यह व्यापारियों और पॉलिटिशियन का गांठ जोड़ है इलेक्शन में पॉलिटिशियन को धन की जरूरत होती है और इलेक्शन के बाद व्यापारियों को इस लिए यह एक दूसरे की जरूरत को पूरा करते रहते हैं इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए ? वास्तव में यह पैसा होता ही है पॉलिटिशियन का जिसको व्यापारियों के द्वारा सफ़ेद किया जाता है ?
1985 : वर्ष 1985 में एक बार फिर कर चोरों को राहत देने के लिए Amnesty Scheme 1985 के नाम से स्कीम लाइ गई जिसमे सरकार की झोली में 700 करोड़ रुपया टैक्स के रूप में आया था ?
जब नरसिंहा राव प्रधान मंत्री बने तो उस समय देश की आर्थिक हालात चिंता जनक थे उन्होंने भारत के एक बहुत अच्छे अर्थ शास्त्री ब्यूरोक्रेट मनमोह सिंह जी पर भरोसा किया और उनको वित्तमंत्री बनाया , उन्होंने गिरती हुई अर्थ व्यवस्था को सुधरने के लिए बहुत सी स्कीम चालू की , National Housing Bank Deposit, Foreign Exchange Remittance Scheme, India Development Bond and Gold Bond Scheme
जिसके परिणाम स्वरुप भारत की अर्थ व्यवस्था पटरी पर आई थी !
लेकिन काले धन के स्रोत फिर भी पनपते रहे और अस्थिर सरकारों में अर्थ व्यवस्था और भी ख़राब हुई लेकिन जब 1997 में श्री आई के गुजराल के नेतृत्व वाली सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने VDIS 1997 लांच की जिसमे 700 करोड़ रूपए का टैक्स जमा हुआ था । जिसमे 350000 करदाताओं ने आय और स्थाई संपत्ति की घोषणा की गई थी ।
अब फिर से काले धन वालों को एक अवसर मिलने जा रहा है ” फेयर एंड लवली स्कीम 2016″ VDIS 2016 के अंतर्गत 30 प्रतिशत कर और। 15 प्रतिशत पेनल्टी देकर कोई भी व्यापारी अपना काला धन सफ़ेद कर सकता है ?
एस. पी. सिंह, मेरठ ।