एक समस्या है और इस समस्या को अभी सुलझाना- बाकी है।” वैसे इनका मानना यह भी है कि, अनिश्चित चीजें भी देती है, कभी कभी अपनी ताकत और क्षमता पहचानने का मौका।
इसी के चलते एक सवाल जहन मे उग आया है कि, – देश में ऐसा क्या होगया कि, एक – अकेला ‘कन्हैया’ सब पर भारी पड़ता दीख रहा है ? इस.सवाल का – जवाब ढूँढने को आपको कहीं जाने की जरूरत नही रहेगी। यो भी जिस दिन जेल से – उसकी ‘रिहाई’ हुई है, खुद दिल्ली पुलिस ने जेएनयू प्रशासन को खत लिख कर आगाह किया है कि, ‘कन्हैया कुमार’ की गति विधियों के बारे मे जान – कारी साझा की जाए, चूँकि, उसकी ‘जान को खतरा है।’ आगे कहा है कि, जब भी वो कैम्पस से बाहर निकले तो सूचना दी जाए ताकि, सुरक्षा इंतजामात हो सकें।
आपको याद होगा ये वही दिल्ली पुलिस है, जिसने ‘कन्हैया’ को पहले देशद्रोह के आरोप मे – गिरफ्तार किया, कोर्ट में पेशी के दौरान वकीलो द्वारा उसकी पिटाई देखती रही, और बाद में न्यायलय के सामने यह कह दिया कि,दोषी होने के सबूत नहीं हैं।
इसीसे कन्हैया को छह माह की अंतरिम जमानत – मिल पाई। इससे पहले पुलिस अफसर श्री बस्सी ने कन्हैया का एक पत्र भी खूब प्रचारित कराया ? बस्सी महाशय पर यह आरोप भी खूब लगे कि, वो केन्द्र – सरकार के दबाव में काम कर रहे है। इसी दरमियान टीवी चैनल्स पर ही जेएनयू मे देश विरोधी नारों की वीडियो फुटेज का जमकर दिखावा होता रहा। और उधर कन्हैया कुमार सलाखों के पीछे से सभी ऐसे – आरोप नकारते दिखाई पड़े। तब पूर्व पुलिस अफसर बस्सी महाशय पर मुख्यमंत्री केजरीवाल और वाम दलों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी थी। बहरहाल बस्सी महाशय सेवा निवृत है और देश विरोधी नारों वाले – कथित टेप भी फर्जी निकले है। इसमे एक तर्रार बनी महिला मंत्री की सहयोगिनी का हाथ बताया गया।
यह सही है कि, कन्हैया की गिरफ्तारी पर देश के कई हिस्सों में यूनिवर्सिटीज के युवाओं ने खूब जमकर विरोध दर्ज कराया । तो दूसरी ओर टीवी चैनल्स पर ‘कन्हैया’ का पक्ष कम और विपक्षीय हमले तेज होते रहे। खूब खबरें गढी गई और आखिर कन्हैया इस देश राजनीति का बड़ा मुद्दा और युवाओ का एक नया ‘हीरो’ हो ही गया। अब तो उसके पिता भी कहते है – बड़ा नेता होगया है उनका ‘कन्हैया ‘।
पूरा मामला न्यायालय मे विचाराधीन है, – लेकिन अब इस कलियुग के चलते नये अवतार सरीखे जेल से छूटे युवक कन्हैया का जीना मुश्किल हो रहा है। जिस तरह एबीवीपी से जुडै छात्र नेताओं मे – महासचिव सौरभ शर्मा का आरोप है कि, जेएनयू – परिसर मे उनके छात्र संगठन से जुडे़ छात्रों को परेशान किया जा रहा है। तो भाजपा सांसद आदित्यनाथ खुद कहते है कि, जेएनयू में कोई जिन्ना पैदा नहीं होने- दिया जाएगा। “यदि कोशिश हुई तो उसे वहीं ‘दफन’ कर दिया जाएगा।” वैसे हम मानते हैंकि,मोदी जी- बहुत समझदार हैं अनुभवी हैं ऐसे हालातों की नौबत ही नहीं आने देंगे।
इधर भाजपा अध्यक्ष अमितशाह का मानना हैकि, जेएनयू मे देशद्रोह को अभिव्यक्ति की आजादी के कपड़े पहनाने की कोशिश हो रही है। वे काँग्रेस- – उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पर भी सवाल करते हैं कि, क्या वो, जेएनयू मे लगे देश विरोधी नारों के समर्थन में है?
आज तो जेटली साहब भी काँग्रेस (राहुल गाँधी) पर
खूब गर्माए।
इसी दौरान, मानव ससाधन विकास – मंत्रालय ने पुडूचेरी की सैन्ट्रल यूनिवर्सिटी के मुखिया को हटाने की तैयारी और करली बताई है। वहाँ अभी- कृष्णामूर्ती वीसी है। यों देखा जाए तो अभी जेएनयू विवाद थमा भी नहीं, वही दूसरी ओर इलाहबाद – विश्वविद्यालय मे छात्रसंघ अध्यक्ष और प्रशासन के बीच टकराव के हालात जन्म ले चुके है।वहाँ पहली महिला अध्यक्ष ऋचा सिंह ने प्रशासन पर एबीवीपी के
ईशारो पर काम करने के आरोप जड़े है। वहीं प्रशासन उस शिकायत पर काम कर रहा बताया जिसमें कि,- ऋचासिह का दाखिला गलत हुआ बताया है।
इधर रक्षामत्री मनोहर पार्रिकर ने भी आरोप लगाते कह दिया है कि, जेएनयू मे देश विरोधी नारे लगाए गये तब वे और प्रधानमंत्री श्री मोदी अब भला भारत की बर्बादी पर चुप्पी कैसे लगाएं रह सकते है।
लगता है कि, अपनी रिहाई के बाद पीएम श्रीमोदी और केन्द्र सरकार पर कन्हैया ने ज्यों ही – निशाना साधा है, भाजपा और आक्रामक हो चली है।
यूपी के भाजयुमो अध्यक्ष कुलदीप वाष्णेय ने कह दिया है कि, हमारे प्रधानमंत्री और पार्टी के खिलाफ बहुत अपशब्दो का स्तेमाल किया है, अत: मै एलान करता हूँ कि, जो उसकी (कन्हेयाकी) जीभ काटेगा उसे मै पाँच लाख रूपये का ईनाम दूँगा। यह बात और है कि, पार्टी ने अपनी भद्द पिटती देख उसे निकाल दिया बताया।लेकिन जनाब भभकती आग मे पैट्रोल तो डल ही गया है ।
वैसे भी कन्हैया के जमानत पर छूटने के बाद ही,दिल्ली प्रैसक्लब के निकट ही पूर्वान्चल सेना द्वारा कन्हैया को देखते ही मार देने जैसे बयानों वाले पोस्टर भी चिपके मिले है। मारने वाले को इसमे ग्यारह लाख के ईनाम की घोषणा भी की गई है।इसी पोस्टर पर सेना के अध्यक्ष आदर्श शर्मा का नाम दर्ज है।
भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कन्हैया की जमानत पर खुशी जताते कहा है कि, कन्हैया की जो बातें उन्होंने सुनी उसमें देशद्रोह जैसी कोई बातें नही है। बल्कि वो अच्छे से बाते कर रहा था। पहले कुछ ऐसा ही काँग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी भी कह चुके है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल ने भी कन्हैया की रिहाई पर खुशी जता दी है।
अब जरा आप ही विचारें ! कन्हैया की – जीभ काटकर लाने अथवा उसे देखते ही उड़ा दिये जाने पर ग्यारह लाख का ईनाम धोषित करने वाले- पोस्टर लगाये जाना, क्या शर्मनाक षड़यन्त्र नही है ? क्या यह राष्ट्र धर्म की श्रेणी तय करदी गई है। ऐसै – अपराध बोध के लिए गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिये ?
भई समझिये यहाँ लोकतन्त्र है। यहाँ हिटलर शाही जरा भी नही चल सकती। कानून अपना काम बराबर कर रहा है, उस पर तो भरोसा रखिए । आप तो उसके निर्णय से पहले ही सड़क पर जिस तरह का – फैसला चाहते हैं यह सब नही चलने वाला है। फिर – आपने कैसे यह सोच लिया कि, सड़कों पर आप ही अकेले उतर सकते हैं ! तब क्या देश में दंगा चाहते हैं ? क्या कानून पर से भरोसा उठ गया है आपका ? भई, वहम का ईलाज तो कहते है, हकीम लुकमान के पास भी नही था ।
अब आप ही समझें कि, अकेला यह ‘कन्हैया कितने कलियुगी मामाओं से जूझ रहा है। बे वजह ही। उसके लिए तो इस संकट के समय उसका अस्तित्व ही समस्या नहीं हो रहा ? अभी एक वैमूला का किस्सा भी ठण्डा पड़ा नही है, देश ही में। कभी कभी लगता है, तब देश मै गाँधी की हत्यापरांत लोगो ने दौड़ा दौड़ा – कर पीटा था, विधर्मियों को। कही यह कोई वैसा ही, संकेत तो…..?
