” मैं निर्भया “

उर्मिला फुलवरिया
उर्मिला फुलवरिया
निर्भया स्वयं उक्त रचना के माध्यम से अपनी दीन-हीन ,मर्म को भेदने वाली करुण व्यथा को बया करते हुए समाज के समक्ष कुछ प्रश्न रखती है पर दरिन्दों की वासनाओ की शिकार उस निर्भया के प्रश्नों के उत्तर देने में समाज असमर्थ हैं फलस्वरूप उसका विश्वास इंसानों से उठ चुका है ।
वो कहती है इंसानों के इन कृत्यों से नारी के सब्र की सीमा टूट चुकी हैं नारी ने चण्डी दुर्गा का रूप धारण कर लिया हैं सृष्टि नष्ट होने की कंगार पर खड़ी है सृष्टि के संहार की पीड़ा उसके हदय में भी व्याप्त हैं क्योंकि “सृष्टि ईश्वर की खूबसूरत नियामत है ” पर क्या करें हम अब मजबूर हो गए हैं क्योंकिअन्तिम आशा के रूप में परम पिता परमेश्वर तभी हमारा उद्धार करने धरा पर अतिशीघ्र आएगा । माँ ,बहन,बेटी की इस दारूण व्यथा की कथा को, इतिहास के जड़ से मिटाएगा……..
उक्त विचारों के साथ ……….

इंसान दरिन्दा बन
क्यू छिन्न लेता है मेरी अस्मत
गमगीनताओं की बेडियों से आबद्ध रहुँ
क्या !यही है मेरी किस्मत
मैं उन्मुक्त गगन की पंछी बन
उड़ना चाहुँ नील गगन में
फिर मेरे लिए क्यों चुनता हैं इंसान
सन्नाटा ,हताशा, अन्धेरा सघन
मैंने नहीं रोका तुझे कभी जीने से
मुझे क्यों राेकता है
जीवन का प्याला पीने से
खुदा तेरे बन्दे में क्यों इतनी वासना हैं
तेरे नियामत की नहीं आलोचना है
रिश्ते की गरिमा को समझें
यह भाव भर दें
मानव को मानवता के पद
प्रतिष्ठित कर दें
किसी बाप की बेटी
निर्भया न बने यह कामना करना
हर परिस्थितियों में ढाल बन
खुदा उसका सामना करना
अब उम्मीद नहीं
मुझे इन इंसानों से
निर्भया बनने से पहले
बचाना इन हैवानों से
हे! खुदा अगर समाज में
नारी का मान बढ़ाना होगा
तुझे नरभक्षी दरिन्दों से
उनकी अस्मत को बचाना होगा
गूँज रही हैं जग में
जगह-जगह एक पुकार
जब नारी चण्डी दुर्गा बन भरेगी
एक स्वर में हुँकार
प्रतिशोध की ज्वाला दहकेगी
सृष्टि की फिजा भी उसमे धधकेगी
तब खुदा तुझे भी उद्धार करने
धरा पर आना होगा
अपने अस्तित्व,वजूद को सिद्ध करने
संघर्ष में अनवरत रत रहना होगा
हर बन माँ,बहन,बेटी,बहु की इस व्यथा को
इतिहास से मिटाना होगा निर्भया की इस कथा को ।।

– उर्मिला फुलवारिया
पाली मारवाड़ ( राजस्थान )

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