शिव का साक्षात् स्वरूप है शिवलिंग

0102ब्यावर, 9 मई। शहर के रिको हाउसिंग कॉलोनी में आयोजित शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन कथावाचक संत शिवम कृष्ण महाराज ने शिवलिंग के प्राकट्य व रहस्य पर प्रकाश डालते हुए महत्व बताया। उन्होंने कहा कि भगवान शिव का आदि-अनादि स्वरूप ही शिवलिंग है। शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरूष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। पुराणों में इसे प्रकाश स्तंभ, अग्नि स्तंभ, ऊर्जा स्तंभ, ब्रह्माण्डीय स्तंभ भी कहा गया है। स्वयं प्रकट होने वाले बाहर शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग पुकारा जाता है। पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय: का जाप करने से संकट दूर होते हैं।
संतश्री ने सामाजिक एकता का संदेश देते हुए कहा कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्व व शूद्र सनातन संस्कृति के चार अंग हैं। ब्राह्मण शिक्षक, क्षत्रिय रक्षक, वैश्य पोषक व शूद्र सेवक है। इनमें से एक भी कम हुआ तो समाज व संस्कृति का संतुलन बिगड़ जाएगा। हिंदू धर्म तोडऩे का नहीं, जोडऩे का काम करता है। संत ने दान का महत्व बताते हुए कहा कि पात्र व्यक्ति को ही दान करना चाहिए। पतन से बचाने वाला पात्र होता है। साधना के मार्ग में पतन का कारण अहंकार है। माता-पिता, गुरु व भगवान की कृपा व सेवा अहंकार से दूर रखती है। संत ने कहा कि आलोचनाओं से सीख लेकर बेहतर बनो। प्रशंसा सुनकर उत्साहित नहीं होना चाहिए। प्रशंसा कई बार कमजोर बनाती है। अभिमानी व्यक्ति प्रशंसक को पास और साथ रखता है। कथा के मध्य भजनों पर श्रोता झूम उठे। भगवान विष्णु व नारद मुनि के संवाद का प्रसंग सुनाया। आयोजक लक्ष्मीचंद भंसाली, आरसी गोयल, किशन पालीवाला, भंवरलाल मेहता, अर्पित भंसाली, गौतम दाधीच, राकेश भंडारी, अंकुर शर्मा, अक्षय गर्ग, मनमीत सिंह, रवि मेवाड़ा, मोहित भंसाली, सुमित डागा, राधिका शर्मा, सीमा दाधीच ने महाराज का स्वागत कर आशीर्वाद लिया। कथा से पूर्व सुबह शिव महाभिषेक का आयोजन किया गया। लक्ष्मीचंद भंसाली, सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित, पुष्पचंद भंसाली, कुलदीप चौधरी ने सपत्नीक पूजा में भाग लेकर शिव का रुद्राभिषेक किया। भक्तों ने मंत्रों और श्लोकों के बीच शिव आराधना की।

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