शिक्षकों को भी विश्वास दिलाएं कि वे सर्वश्रेष्ठ हैं….

arvind apoorva
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सरकारी स्कूलों में श्रेष्ठ ही नहीं, सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैं, विषय विशेषज्ञ हैं, यह बात शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी तो मानते हैं, लेकिन खुद शिक्षक या अन्य सरकारी कर्मचारी नहीं मानते। अगर मानते तो अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ाते… है कि नई। प्राइवेट स्कूलों में दाखिला क्यों दिलाते? ग्रामीण परिवेश और वहां नियुक्त और वहीं परिवार के साथ रहने वाले शिक्षकों को छोड़ दें तो बाकी शहर में रहने वाले शिक्षकों में 10 प्रतिशत ही ऐसे होंगे, जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने जा रहे होंगे। अन्य तो बड़े और नामचीन स्कूलों में पढ़ रहे होंगे या पढ़ चुके होंगे। है कि नई। जब तक सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को विश्वास नहीं दिलाया जाएगा कि सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षक, और बेहतर शैक्षिक माहौल है, तब तक नामांकन में बढ़ोतरी की आशा करना ठीक नहीं लगता। जिस दिन सरकारी कर्मचारियों में यह विश्वास जागृत हो जाएगा, उस दिन शिक्षा मंत्रीजी को कहने और घर-घर पैम्पलेट्स बंटवाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। सभी रिकॉर्ड अपने आप टूट जाएंगे, चाहे वो नामांकन के हों, या बोर्ड में मेरिट के। है कि नई। नामांकन के लिए प्रवेश का उत्सव मनाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। हर साल उत्सव वैसे ही मन जाएगा, जब सरकारी स्कूल का बच्चा छाएगा। प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ते हुए सरकारी स्कूलों की सफलता का ग्राफ बढ़ेगा तो बच्चों की संख्या अपने आप उन स्कूलों में बढ़ेगी। पर इसके लिए शिक्षकों को जागृत करना होगा, ईमानदारी से अपने कर्तव्य का पालन करते हुए बच्चों को पढ़ाने के लिए… और अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए… है कि नई
By – Arvind Apoorva
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