ज्ञानानंद महोत्सव में 23 मई को अध्यात्मिक संगोष्ठी के प्रथम सत्र मुकेश जी मेरठ की अध्यक्षता में , मुख्य अतिथि श्री नेमी चंद जी पायल वाला जबलपुर , विशिष्टि अतिथि श्री मंगल सेन जी दिल्ली, व श्री दीपक जी दिल्ली होगें।
प्रवक्ता डां. एमएल जैन ने बताया कि आज टोडरमल स्मारक स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन श्री अजीत जी जैन बडोदा, अध्यक्षता श्री अजीत प्रकाश दी दिल्ली, मुख्य अतिथि श्री प्रेम चंद जी बजाज कोटा, तथा विशिष्ट अतिथि श्री आदेश जी जैन दिल्ली, एवं श्री मुकेश जैन ढाईद्वीप ,इन्दौर ,व राकेश जी दिवाकर ने की।इस कार्यक्रम में पं. जतीश जी शास्त्री की प्रभावी उपस्थिति रही।
टोडरमल स्मारक जयपुर का विद्वान स्वयं एक संस्था : पं. डां. भारिल्ल
जैन रत्न डां. भारिल्ल ने कहा कि जयपुर का एक विद्वान स्वयं एक संस्था है, राजस्थान सरकार में 450 विद्वान शासकीय सेवा में है और सर्वोच्च संस्थाओं में है। उन्होंने कहा कि जयपुर के विघार्थी हो अर्ध निशा का सन्नाटा तब भी वह अध्ययन कर जैन धर्म के चारों अनुयोगों का गहन चिन्तन मनन कर अपनी योग्यता में खरे उतरते है। आज का टोडरमल स्मारक का स्वर्ण जयंती समारोह ऐतिहासिक रहा है। आज करीब 10 हजार लोगों में जिसमें संपूर्ण भारत के प्रदेशों, दिल्ली, कोलकाता, कोटा, भोपाल, छिड़बाड़ा ,ललितपुर , इन्दौर , अजमेर, जयपुर ,व हैदराबाद से पधारे अतिथियों ने शिविर समारोह की गरिमा को बढ़ाया। इस अवसर पर जयपुर टोडरमल स्वर्ण जयंती वर्ष के समापन में श्री सम्मेद शिखर जी में समय सार मंडल विधान 9 अक्टूबर 2016 से 16 अक्टूबर 2016 तक किए जाने की घोषणा , सभी 250 स्नातकों विद्वानों द्वारा की गई व उन्होंने सभी उपस्थितों को आमंत्रण दिया, द्वितीय घोषणा भोपाल जैन समाज ने दीवानगंज में ज्ञानोदय तीर्थ के पंचकल्याणक समारोह की घोषणा आर्कषक बैड़ बाजों, जुलूस , बालिकाओं के सुन्दर स्वागत गीत, नृत्य द्वारा की गई। स्वर्ण जयंती समारोह में श्री अजित प्रसाद जी दिल्ली, श्री अजित जी बड़ोदा, डां. अशोक जैन ,श्री प्रेमचंद जी बजाज कोटा और ज्ञानचंद जी कोटा, डां.आरके जैन, एवं मुमुक्षु मंडल ललितपुर, मुमुक्षु मंडल कलकत्ता द्वारा, शिविर व्यवस्था में विशेष सहयोग दिया गया।
स्वाधीनता चरम सुख दाता : बाल ब्र. सुमत प्रकाशजी
विदिशा में ज्ञानांनद महोत्सव वीतराग अध्यात्मिक शिक्षण , प्रशिक्षण शिविर के प्रेरणा स्त्रोत बाल ब्रं. सुमत भैया जी ने 10 हजार मुमुक्षुओं के समक्ष प्रवचन करते हुए कहा कि आज पुरूषार्थ पर खुलासा हुआ है यथार्थ में पुरूषार्थ का अर्थ कार्य शक्ति है जो दुनिया के प्रत्येक पदार्थ में पाई जाती है। प्रत्येक बीज वृक्ष बनने के लिए स्वयं शक्तिशाली है, शरीर अपने रोग को स्वयं दूर करने का पुरूषार्थ करता है, इससे पुरूषार्थ की स्वाधीनता सिद्घ होती है, दवाओं के आश्रय से संयम घटने से रोग उत्पन्न होता है, अत: आज का क्षय रोग ,अटेक कैंसर , एचआईबी, इंटरनेट ,फोन , केलकु लेटर , के सहारे से स्मरण शक्ति कमजोर हो रही है। प्रतिभा घट रही है, उन्नति के लिए पराधीन होने की आवश्यकता नहीं है, यह स्वाधीनता पर सुख मुक्ति प्रदाता है और अनंत सुख है।