विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की स्थानीय शाखा द्वारा पांच दिवसीय संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर का समापन
जीवन में अनुशासन एवं कुशलता बहुत महत्वपूर्ण है। यदि मानवीय गुणों का विकास हम बच्चों में करना चाहते हैं तो उन्हें जीवन की कठिन परिस्थितियों से संघर्ष कर लेने की आदत बचपन से ही करना सिखाना चाहिए। विवेकानन्द केन्द्र अपने आवासीय शिविरों के माध्यम से न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी यथोचित मानवीय मूल्यों के विकास में अग्रसर है। उक्त विचार जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय के वरिष्ठ सर्जन डॉ. श्याम भूतड़ा ने विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की स्थानीय शाखा द्वारा आयोजित संस्कार वर्ग प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में कहे। उन्होंने बच्चों के अनुभव जाने। उन्होंने कहा इस भरी गर्मी में बिना बिस्तर एवं कूलर एसी के बच्चों ने पांच दिन तप किया है एवं जैसे सोना बिना तपे कुन्दन नहीं बन सकता उसी प्रकार मनुष्य का सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक तथा भावनात्मक विकास बिना कष्ट उठाए नहीं हो सकता।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विवेकानन्द केन्द्र राजस्थान के प्रान्त प्रमुख भगवान सिंह चौहान ने बताया कि बच्चों को शिक्षा व्यवस्था का कूप मण्डूक बनने के बजाए नए विचारों को जीवन में स्थापित करने के लिए सत्साहित्य का नित्य अध्ययन करने की आवश्यकता है। इससे पूर्व कार्यक्रम में संस्कार वर्ग की आवश्यकता विषय पर बच्चों द्वारा लघुनाटिका की प्रस्तुति दी गई। कीर्ति, नूपुर, मुस्कान, विदित आदि द्वारा सूर्यनमस्कार, गीत, गीता पठन, भोजन मंत्र तथा अनुभव कथन किया गया।
कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र की प्रान्त संगठक रचना जानी, प्रांजलि येरिकर, प्रान्त सह संचालक शिवराज शर्मा, विभाग सह संचालक कुसुम गौतम, नगर प्रमुख महेश शर्मा, विभाग सह प्रमुख अविनाश शर्मा, नगर संगठक श्वेता टाकलकर, नगर सह प्रमुख अखिल शर्मा, व्यवस्था प्रमुख नितिन गोयल, विभाग प्रमुख डॉ. स्वतन्त्र शर्मा भी उपस्थित थे।
(डॉ. स्वतन्त्र शर्मा )
विभाग प्रमुख
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