◆ *वाहन चोरी , जुआ सट्टा , नशे का कारोबार , वैश्या वृत्ति , शराब बिक्री की बढ़ रही है वारदाते । हत्याएं भी होने लगी •••*
◆ *सालो से जमे पुलिस कर्मी बजा रहे है चैन की बांसुरी , आम जनता में डर और अपराधियो में बढ़ रहा है विश्वाश*
बीते कुछ समय से पुष्कर वैश्यावृति का एक बड़ा सेंटर बनता जा रहा है । ठेके पर होटले लेकर चलाने वाले लोगो ने इस धंधे को मुख्य पैशा बना दिया है । मैंने अपने ब्लॉग में पहले भी लिखा था आज फिर लिख रहा हूँ पुष्कर की 70 फीसदी छोटे स्तर की होटलो में बीते लंबे समय से देह व्यापार फल फूल रहा है । इन होटले के कर्मचारी बाकायदा मोबाइल फोन में लड़कियो के फ़ोटो दिखाकर ग्राहक फंसाने का धंधा करते है । इस गोरखधंधे की जानकारी पुष्कर के सभी जागरूक लोगो को है तो यह कैसे संभव है की हमारी पुलिस के जिम्मेदार लोग इससे अनजान है ।
इसके अलावा बीते कुछ समय से वाहन चोरी की वारदातों में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है । बीते एक सप्ताह में भी दो , तीन वाहन चोरी हो चुके है । लेकिन ना तो पुलिस अभी तक कोई सुराग लगा पाई है और ना ही कोई अपराधी को पकड़ पाई है । इसके अलावा जुआ सट्टा तो खुलेआम खेला जाने लगा है । जानकारों की माने तो आईपीएल 2016 में ही यहाँ पर 20 करोड़ से ज्यादा का सट्टा खेला गया । छोटे मोटे ताशपत्ति के जुए तो कई जगह खेले जा रहे है । अभी हाल ही में प्रशिक्षु आईपीएस चुनाराम ने दबिश देकर कुछ जुआरियो को रंगेहाथो पकड़ा भी था
रही बात नशे के कारोबार की तो वो हमेशा की तरह अभी भी जमकर फल फूल रहा है । कई बार मीडिया में खबरे प्रकाशित होने के बावजूद पुलिस द्वारा आज दिन तक प्रभावशाली व्यक्तियो के खिलाफ कोई मजबूत कार्यवाही नहीं की गई । छह आठ महीनो में कभी कभार छोटे मोटे नशेड़ी को पकड़कर वाहवाही लूट ली जाती है ।
धार्मिक नगरी होने के कारण वैसे तो यहाँ शराब बेचने पर पाबंदी है लेकिन आलम यह है कि पुलिस की मिलीभगत से खुलेआम यहाँ की कई होटल और रेस्टॉरेंट में शराब बेचीं जा रही है । शहर के बीचोबीच चलने वाले कुछ ढाबो में यह चौबीसो घंटे उपलब्ध है । जिससे यहाँ की धार्मिक मर्यादा भंग हो रही है ।
इतने सब अपराधो के बीच कभी कभी हत्याएं भी होती रहती है । पिछले कुछ सालो में हुई हत्याओं का विश्लेषण करें तो 90 फीसदी मामलो का आजतक खुलासा नहीं हुआ । हत्यारे खुलेआम अपराध करके निकल जाते है और पुलिस जांच के नाम पर लीपापोती करके मामले को ठन्डे बस्ते में दाल देती है ।
आखिर इतने अपराधो के बाद भी पुलिस की कार्यप्रणाली में ऐसा कुछ खास नजर नहीं आ रहा है जिससे लगे की अब वो जाग गई है । आज भी वही ढर्रा कायम है । पिछले कई सालो से यहाँ के थाने में जड़े जमाये बैठे कई पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी को अंजाम देने की बजाय आज भी चैन की बांसुरी बजा रहे है । आलम यह है की कई बार तो उन्हें लगता ही नहीं की कही कोई अपराध घटित हो रहा है । गलती से अगर कोई पीड़ित बगैर जान पहचान वाले को साथ लिए चला भी जाए तो उनका व्यवहार उसे ही अपराधी साबित करने जैसा हो जाता है । पीड़ित से ऐसे सवाल जवाब पूछे जाते है जैसे अपराध उसी ने किया हो ।
खैर अपने अपने राजनैतिक आकाओ के आशीर्वाद प्राप्त यह पुलिसकर्मी सालो से जड़े जमाये यहाँ बैठे है । और उसका खामियाजा पुष्कर की आम जनता को आये दिन भुगतना पड़ रहा है ।
अब वक्त आ गया है जब अजमेर पुलिस अधीक्षक नितिन दीप ब्लग्गन को इस और गंभीरतापूर्वक ध्यान देकर पुष्कर पुलिस में बड़े फेरबदल कर आम जनता में फिर से वही विशवास कायम करें , और आम नागरिक फिर से अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सके ।
राकेश भट्ट
प्रधान संपादक
पॉवर ऑफ़ नेशन
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