सामाजिक सुरक्षा एवं पेंशन पर हुई राज्य स्तरीय जनसुनवाई
जयपुर, 17 जून / सरकार की ओर से बुजुर्गों के सहारे के लिए शुरू की गयी पेंशन योजना महज़ कागजों में ही सिमट कर रह गयी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल पेंशन लाभार्थियों की संख्या 68 लाख 62 हज़ार 839 है लेकिन 58 लाख 5 हज़ार 812 लाभार्थियों को ही पेंशन मिल रही है. 10 लाख लाभार्थी अभी भी पेंशन से मोहताज़ है. यह वे लाभार्थी हैं जिन्हें ये जानकारी नहीं है कि उनकी पेंशन किन कारणों से नहीं दी जा रही है दूसरी तरफ राज्य सरकार भी यह स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि इन दस लाख लाभार्थियों को पेंशन किन कारणों से नहीं दी जा रही है. शहीद स्मारक पर दिए जा रहे ‘जवाब दो’ धरने में आज सामाजिक सुरक्षा एवं पेंशन पर हुई राज्य-स्तरीय जन सुनवाई में ये तथ्य सामने आये. जनसुनवाई में आये लोगों ने बताया कि उन्हें बार-बार आवेदन करने पर भी उनकी पेंशन शुरू नहीं हो पाती, अगर शुरू हो भी गयी तो वह नियमित रूप से नहीं मिल पाती या बिना किसी कारण के रुक जाती है. पेंशन के लिए बैंकों में बार-बार चक्कर काटना पड़ता है, कई क्षेत्रों में तो उनके गाँवों से निकटतम बैंक 25 से 30 किमी. की दूरी पर हैं.
जनसुनवाई में प्रदेश से आये बुजुर्गों ने राज्य सरकार से मांग की कि पेंशन राशि को न्यूनतम मजदूरी का आधा किया जाये और इसे महंगाई की बढ़ती दर के साथ निरंतर बढ़ाया जाये. लाभार्थियों को यह चुनने का विकल्प दिया जाये कि वे पेंशन बैंक से लेना चाहते हैं या पोस्ट ऑफिस से. एक पारदर्शी और विस्तृत जनता इनफार्मेशन सिस्टम बनाया जाये जिसमें पेंशन वितरण से सम्बंधित सारी जानकारी सहज और सुलभ तरीके से उपलब्ध हो. सेक्स-वर्कर्स, ट्रांस-जेंडर, एचआईवी प्रभावित लोग, एकल महिलाएं और अन्य वंचित समुदाय के लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाये.
बैंक है बहुत दूर
अजमेर के सरूपा गाँव के ओम सिंह को पेंशन तो लगतार मिल रही है लेकिन उन्हें पेंशन पाने के लिए अपने गाँव से 15 किमी. दूर स्थित बैंक में जाना पड़ता है. अपने गाँव से टैक्सी के ज़रिये बैंक आने-जाने में 60 से 100 रुपये खर्च हो जाते हैं. ओम सिंह का कहना था कि बैंक से पेंशन लेने में कई बार पूरा-पूरा दिन लग जाता है क्यूंकि वहां भीड़ बहुत होती है. उनका कहना था कि पोस्ट ऑफिस से पेंशन लेना बहुत आसान था.
सरकार ने नवाज़ा, आज भीख मांगने को मजबूर
जनसुनवाई में आई संजू पुलिस लाइन के समीप कलाकार बस्ती में रहती है. पिछले सात सालों से वह अपने पति से अलग रहती है और अपने कैंसर-ग्रस्त भाई और माँ के साथ-साथ अपनी पांच और नौ साल की बेटियों को भी पालती है. संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘राजस्थान रतन’ का पुरस्कार पाने वाले संजू के पिता की मृत्यु दो साल पहले कैंसर से होने के बाद यह पूरा परिवार भीख मांगकर गुज़ारा करने को मजबूर है. इस परिवार के पास न बीपीएल कार्ड है और न राशन कार्ड. संजू और उसकी माँ दोनों ही को (क्रमशः वृद्धावस्था एवं विधवा) पेंशन सिर्फ इसलिए नहीं मिलती कि सरकारी रिकॉर्ड में यह दर्ज हो गया है कि उसकी माँ को 9,500 रुपये की पेंशन मिलती है जोकि सही नहीं है.
पेंशन नहीं मिलती नियमित
भोजन के अधिकार अभियान एवं सूचना रोज़गार अभियान द्वारा हाल में के छः संभागों में एक सर्वे किया गया. सर्वे में 570 परिवारों के 2646 लोगों से की गयी बात-चीत से ये निकल कर आया कि पिछले तीन महीनों (फरवरी से अप्रैल 2016) में सिर्फ 72 प्रतिशत लोगों को ही नियमित रूप से पेंशन मिली है यानि कि एक चौथाई से भी ज्यादा लोगों को पेंशन नियमित रूप से नहीं मिल रही है.
इस जन सुनवाई में लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर, एकता परिषद् के रमेश भाई, इंक्लूसिव मीडिया फॉर चेंज के विपुल मुद्गल, आईटी फॉर चेंज, बैंगलोर, की अनीता गुरुमूर्ति, कुमारप्पा इंस्टिट्यूट के अमित प्रसाद, विकलांग आन्दोलन 2016 के मनोज पूनिया, शिव शक्ति जी, राष्ट्रीय विकलांगता मंच के देव शर्मा, और अन्य मौजूद थे. विपुल मुद्गल ने कहा कि हमें ये सवाल पूछने होंगे कि आज नीतियां कौन बनाता है – नेता, अधिकारी या फिर वर्ल्ड बैंक या अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व व्यापार संगठन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं? कौन ये तय करता है कि बुजुर्गों की पेंशन कितनी होगी और ये उन्हें ये कैसे मिलेगी? उन्होंने कहा कि जानकारी, निगरानी और भागीदारी एक पारदर्शी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ज़रूरी है और इन तीनों के होने पर ही हम सरकार की जवाबदेही तय कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये ज़रूरी है कि हमारे यहाँ भी कानूनों और नीतियों के बनाने से पहले जनता से परामर्श की व्यवस्था हो. हर्ष मंदर ने कहा कि पेंशन पाना आप लोगों का हक है और सरकार की ये ज़िम्मेदारी है कि सम्मान के साथ यह हक वो आप सबको दे. उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवें वेंतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतन और सुविधाओं में बढ़ोतरी हो रही है दूसरी ओर सरकार असंगठित क्षेत्र के बुजुर्गों के लिए 500 रुपये की पेंशन भी नियमित रूप से नहीं दे रही है.
सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान की ओर से
मुकेश – 9468862200, कमल – 9413457292,
बाबूलाल नागा – 9829165513