बहनों औेर भाइयों के बीच मनमुटाव हुआ खत्म
उपखण्ड अधिकारी व शिविर प्रभारी श्री जगदीश नारायण बैरवा ने बताया कि ग्राम टांकावास के खातेदार बलदेव पुत्रा रूपा मीना ने दो विवाह किये थे। प्रथम पत्नी फैफा व द्वितीय बरजी थी। खातेदार बलदेव की मृत्यु के समय उसकी विरासत में 13 उत्तराधिकारी थे, लेकिन प्रथम पत्नी के पुत्रा भूरा, गेगा व उगमा ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर वर्ष 2004 में विरासतनामा व इंद्राज़ दुरूस्ती द्वारा नामान्तरण संख्या 402/13.12.2004 से अपनी छोटी बहनों को विरासत उत्तराधिकारी से वंचित कर दिया। इस प्रकार बहनों व भाइयों में मनमुटाव हो गया और खातेदार बलदेव की वंचित पुत्रियां फूला, कमला, सीता, चकौला, रतनी एवं कैलाशी ने अपने अधिकार के लिए कई स्तरों पर प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
टांकावास में प्रार्थी पुत्रियों ने विरासत में हक का प्रार्थना पत्रा देकर गुहार लगायी जिस पर शिविर प्रभारी ने उनके भाइयों को शिविर में बुलवाकर समझाईश व आपसी बातचीत करवाई, जिस पर भाइयों ने पिता की विरासत में बहनों को हक देने पर सहमति जताई। इसके बाद नाम दुरूस्ती के आदेश व नामान्तरण दर्ज करने पर वर्षाें से वंचित पुत्रियों को पिता की विरासत में हक मिल गया। इस प्रकार मौके पर ही न्याय मिलने से बहनों व भाइयों का मनमुटाव दूर हुआ और अपना हक मिलने स्वर्गीय बलदेव की पुत्रियों ने सरकार को न्याय आपके द्वार शिविर आयोजन के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद दिया। –00–
