अजमेर, 26 जून। केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्राी श्री रामविलास पासवान ने रविवार को मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि आम आदमी को राहत पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है । दालों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार वचनबद्ध है। दालों की कीमतों में वृद्धि का कारण मांग और पूर्ति में अंतर रहा। इस वर्ष 246 लाख टन दालों की मांग रही इसके मुकाबले 170 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ। इसके पिछले वर्षों में मांग 236 एवं 226 लाख टन के मुकाबले 171 एवं 173 लाख टन दलहन उत्पादित हुआ। मांग और पूर्ति के इस अन्तर को पाटने के लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर विशेष कदम उठाए गए है जिससे दालों के भाव कम हुए है। सरकार के स्तर पर स्टोक लिमिट घोषित की गई तथा जमाखोरों के खिलाफ वृहद स्तर पर कार्यवाही की गई। दालों का आयात सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न देशों की सरकारों के साथ सीधे दीर्घावधि काॅन्ट्रेक्ट किए। इससे निजी तथा सरकारी स्तर पर दालों का आयात सुगम एवं सस्ता हो गया। आयातित दलहन का स्थानीय बाजार में वितरण सुनिश्चित करने के लिए 45 दिन की लोडिंग-अनलोडिंग समयावधि के पश्चात उसे भी स्टाॅक लिमिट में शामिल किया गया है। देश मंे दलहन का उत्पादन प्रोत्साहित करने के लिए दलहन का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया। केन्द्र सरकार ने 8 लाख टन दालों का बफर स्टाॅक बनाया गया। साथ ही राज्य सरकारों को कम कीमत पर दालंे मुहैया करवाई गई।
इस अवसर पर राज्य सभा सांसद श्री भूपेन्द्र सिंह यादव, शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी, प्रभारी मंत्राी तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्राी श्री हेमसिंह भड़ाना, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष श्री शम्भू दयाल बड़गूजर, जिला प्रमुख सुश्री वंदना नोगिया, संसदीय सचिव श्री सुरेश सिंह रावत, विधायक श्री शत्राुघ्न गौतम, प्रो. बी.पी. सारस्वत, श्री अरविन्द यादव उपस्थित थे।
श्री पासवान ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के गठन का विचार किया जा रहा है। जिससे उपभोक्ताओं पर बाजार को केन्द्रित होना पड़ेगा निर्माता की जिम्मेदारी तय होगी। किसी उत्पाद की एक खेप में एक वस्तु के विरूद्ध उपभोक्ता अदालत द्वारा निर्णय सुनाए जाने पर उस खेप के समस्त उत्पादों पर वह समान रूप से लागू होगा। उत्पादों को खरीदने वाले समस्त उपभोक्ताओं को अदालत के निर्णय का लाभ मिलेगा। भ्रामक विज्ञापनों के द्वारा वस्तुओं का विक्रय प्रतिबंधित हो सकेगा। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अदालतों के कार्य क्षेत्रा में वृद्धि करने के लिए जिला मंच को एक करोड़ तथा राज्य उपभोक्ता मंच को दस करोड़ तक की राशि के दावों की सुनवायी करने का अधिकार देने पर विचार विमर्श किया जा रहा है। उपभोक्ता अदालत के 20 लाख तक की राशि के दावों को अपील मुक्त रखा जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के द्वारा गरीबों को खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने के कार्य को पारदर्शी बनाने के लिए आधार के साथ सीडिंग करके पीओएस मशीन के माध्यम से वितरण किया जा रहा है। अब तक 59 प्रतिशत राशन कार्डो की सीडिंग की गई है। इनमें से एक करोड़ 62 लाख दोहरे राशन कार्ड निरस्त किए गए। इससे सरकार के लगभग दस हजार करोड़ रूपये का दुररूपयोग रूका है। गांव की 75 प्रतिशत तथा शहरों की 50 प्रतिशत आबादी को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए लगभग 30 रूपये किलो का चावल तीन रूपये तथा लगभग 20 रूपये किलो का गेहूं दो रूपये में उपलब्ध करवाया जा रहा है।
श्री पासवान ने कहा कि बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर से जुड़े महु, 26 अलीपुर रोड़ दिल्ली, मुम्बई की चैत्य भूमि तथा लंदन के घर को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। इन स्थानों के निर्माण के लिए आसपास की भूमि को खरीदकर केन्द्र सरकार ने विशेष कार्य किया है। वंचित वर्ग के उत्थान के लिए बैंकों की प्रत्येक शाखा को विभिन्न वर्गों के दो-दो व्यक्तियों को अनुदानित दर पर ऋण उपलब्ध करवाकर उद्यमी के रूप में स्थापित किया जाएगा। इससे वंचित वर्ग के लगभग 2.5 लाख उद्यमी 25 लाख बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की स्थिति में होंगे।
केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्राी श्री गिरीराज सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार के मंत्राी जनता के सेवक है। जनता की आवश्यकता एवं अपेक्षा के अनुरूप कार्य करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा समाज के विभिन्न वर्गो का फीड बेक लिया जा रहा है। इसके लिए केन्द्रीय मंत्रियों के दल देश के 200 स्थानों पर विकास पर्वो का आयोजन करेंगे। कालाधन रोकने के लिए केन्द्र सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। 30 सितम्बर तक काले धन की घोषणा नहीं करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। स्पेक्ट्रम तथा कोयला खादानों की निलामी से प्राप्त प्रचूर धन राशि जनता के खजाने में आने से उसका विकास कार्यो में बेहतर उपयोग हो सकेगा। वैश्विक मंदी के दौर में भी जहां चीन का सकल घरेलू उत्पाद घटा है। वहीं भारत का सकल घरेलू उत्पादन बढ़ा है।
