….. हाँ तो, मेरा ‘अजमेर’ बदल रहा है

शमेन्द्र जडवाल
शमेन्द्र जडवाल
अजमेर । हाँ तो मैं कह रहा था, मेरा शहर बदल रहा है। 15 अगस्त को यहाँ राज्य स्तरीय समारोह क्या हो रहा है, इस विश्व प्रसिद्ध धर्मस्थली पर तैयारियो ने ही हालत पतली करदी. है। पहले सी एम वसुन्धरा राजे ने कहा था, “अजमेर गंदा शहर है”।अब हालातों के चलते यही बात लोग कहने लगे है। मुख्य सड़को को ‘पोल लैस’ बनाने के चक्कर में डिवाईडरों पर लगी टाईल्स तोड़कर नये पोल लगाये जा रहे हैं। यों नये टाईल्स भी वही है जो पहले लगे हुए थे।नये पोल ताबड़तोड़ बनी फाऊन्डेशन पर कस दिये हैं।डिवाईडर्स पर ऱग की लीपा पोती सभी कुछ मुख्यमंत्री को खुश रखने का नजरिया मात्र है।
शहर में हर रोज बिजली की आँख मिचौली
नागरिकों को खूब छका रही है। ऊपरी तौर पर निर्देशों की हवा निकल रही है। घूघरा हैलीपैड से मेयो कालेज, पुलिस लाईन से पटेल स्टेडियम, यहाँ से बजरंगगढ चौराहा, फिर इसी चौराहे से वैशाली नगर, पुष्कर घाटी से महाराणा प्रताप स्मारक, पटेल मैदान से इण्डिया मोटर चौराहा और कुन्दन नगर मार्गों को पहले संवारा जा रहा है। आज की खबर के मुताबिक विभागीय काम कर रहे ठेकेदारों ने बारिश के बहाने काम रोक दिया है। कुछ सड़के एक तरफा ही बन पाईं हैं। अफसरों में भय भी है, कि मुख्यमंत्री समारोह वाले दिन आते जाते अधूरे काम देख ना लें कहीं ?
ajmerएक दिन पहले ही ,पुष्कर के ग्राम तिलोरा, डेर और बाँसेली के बाशिन्दों ने, रात मे हो रही बिजली कटौती से परैशान होकर बिजली ही बन्द करादी। यहाँ शिकायतों पर जब कोई नहीं आता दिखा तो यह कदम उठाया गया।शहर का हाल भी यही है।बिजली कब आए कब जाए पता नही है। हाँ शहर की सुन्दरता दिखाने के नाम पर, साफ पेयजल के तीन वाटर एटीएम लगाये गये हैं। जेएल एन अस्पताल लखोटिया धर्मशाला के सामने, वेशाली नगर जेटी पर और एक जनाना अस्पताल के निकट। यहाँ एक रुपये में एक लीटर पानी मुहैया होगा।
इसी क्रम मे शहर में कम सेकम जहाँ 100 कचरा पात्र की जरूरत है वहाँ केवल दो जगह भूमिगत ऐसे कचरा पात्र लगादिये हैं जो आते जाते दिखें बस। एक जेएल एन मैडिकल कालेज के पास है तो दूसरा पात्र रोडवेज बस अड्डे के सामने। बस। कल कचहरी रोड पर आवाजाही बन्द करादी गई लेकिन वाहनों कै डाईवर्जन के लिये पुखँता इंतजाम नहीं किये जिससे कई बार जाम लगता रहा। और लोग परेशानी झेलते रहे । इधर शहर ही में केवल रात ही में नहीं.बल्कि कई दिनों से – धड़ल्ले से दिन दहाडे़ चोरियाँ हो रही है । चोरो के हौसले मस्त है। पुलिस गश्त फेल रही है।
और ये जो विकास का जितना भी काम हुआहै, उसके लिये नये जिला कलेक्टर गौरव गोयल की मेहनत ही कही जाएगी वर्ना तो बस यह भी……भगवान ही..
बहरहाल कुछ भी हो, “स्मार्ट सिटी” के नाम पर मेरा शहर बदल रहा है। चार दिनों से लगातार आर टी ओ विभाग की टीमों ने टैम्पो और सिटी बसों पर नये स्टीकर लगाकर स्टेशन रोड पर अवैध वाहनों की भीड़ जरा कम की तो है। स्कूली बच्चे पटेल मैदान में रोज रिहर्सल में घंटो व्यस्त रहे तो उनके खाने पीने के इंतजाम भी प्रशासनिक तौर पर ही नाकाफी भी रहे।

– शमेन्द्र जड़वाल।

1 thought on “….. हाँ तो, मेरा ‘अजमेर’ बदल रहा है”

  1. वर्षा ऋतु मे लगभग 45 दिन रंग रोगन,खुदाई,निर्माण कार्य आदि नहीं होते,क्योंकि मुख्यमंत्री महोदय आ रही है तो इन 45 दिनों मे ही 365 दिन का काम हो रहा है। मुख्यमंत्री को खुश करने के चक्कर मे जनता को नाराज करके नेता और प्रशानिक अधिकारी सरकार के ही पाँव काट रहे है।पैसा तो जनता ही लग रहा है,ऐसी क्या आफत है जो 15 अगस्त तक काम निपटाना है ।

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