तृणमूल कांग्रेस की सदर ममता बनर्जी द्वारा यूपीए से नाता तोडऩे की घोषणा के साथ ही अब लोगों की निगाहें समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर टिक गई हैं। दिन भर न्यूज चैनल लगभग यही दिखाते रहे कि ममता केवल गीदड़ भभकी दे रही हैं और आखिर में सांप्रदायिक ताकतों को रोकने का बहाना बना कर समर्थन जारी रखने का कोई रास्ता निकाल लेंगी। मगर हुआ उलटा। कानाफूसी है कि मीडिया द्वारा उनकी खिल्ली उड़ाने से तंग आ कर यह निर्णय किया है। उन्होंने एक झटके में कांग्रेस से हाथ झटक लिया, ताकि यह संदेश जाए कि वे गीदड़ नहीं बल्कि शेरनी हैं। अब लोगों की नजरें मुलायम पर अटकी हुई हैं कि वे क्या करते हैं। वे भी गीदड़ी भभकी दे चुके हैं। कानाफूसी है कि मुलायम सिंह ज्यादा शातिर हैं। वे ममता की तरह भावनाओं में आ कर कोई निर्णय नहीं करेंगे। उनकी नजरें अगले चुनाव में प्रधानमंत्री बनने पर लगी हुई हैं। इस कारण कोई ऐसा रास्ता निकालेंगे ताकि कांग्रेस से सीधी दुश्मनी न हो और मौका पडऩे पर उनका समर्थन ले कर प्रधानमंत्री बन जाएं।