निर्माण कार्यों के प्रावधानों में सुधारों के लिए स्थाई वर्किंग गु्रप का गठन

इस प्रकार के वर्किंग गु्रप-आधारित प्रक्रिया लागू करने वाला राजस्थान होगा देष का प्रथम राज्य।
jaipur samacharजयपुर, 02 सितम्बर। प्रषासनिक सुधार विभाग के 31 अगस्त को जारी किए एक आदेष के अनुसार लोक उपापन विनियमों के अंतर्गत उपापन प्रक्रियाओं में एकरूपता लाने के लिए वित्त विभाग को सलाह देने के लिए मुख्य वर्क्स डिपार्टमेंट्स के सचिवों का स्थाई वर्किंग गु्रप गठित किया गया है। इसके सदस्य सचिव वित्त सचिव (बजट) होंगे एवं इस गु्रप में सचिव जलदाय विभाग के अलावा सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा अतिरिक्त सचिव जल संसाधन विभाग सदस्य होंगे। इसकी प्रथम बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी।
जलदाय विभाग के सचिव श्री संदीप वर्मा ने बताया इस स्थाई वर्किंग गु्रप की मूल भावना यह है कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसंुधरा राजे द्वारा विभिन्न विभागों की प्रगति समीक्षा के दौरान यह पाया गया था कि विभागीय कार्यों की निविदा प्रक्रियाओं में कुछ बड़ी और गिनी-चुनी फर्मों द्वारा ही निविदा प्रक्रिया में पूलिंग कर भाग लिया जा रहा है। इसके अलावा राजस्थान लोक उपापन पारदर्षिता एक्ट-2012 तथा नियम-2013 लागू होने के बाद पिछले 3-4 वर्षों में यह समस्या आ रही है कि लोक निर्माण वित्तिय एवं लेखा नियम ( च्ॅथ्-।त् ) तथा सामान्य वित एवं लेखा नियम (ळथ्-।त्) के प्रावधानों में भिन्नता होने से राजकीय विभागों के अधिकारियों में आपस में एवं ऑडिट पार्टी के साथ भी स्पष्टता का अभाव रहता है।
उन्होंने बताया कि विभिन्न विभागों में कार्यो के भुगतान, विभागीय कारणों से कार्यों में देरी होने की स्थिति में भी संवेदकों को प्राथमिक रूप से समस्त उत्तरदायित्व मानते हुए क्षतिपूर्ति राषि का रोपण, कार्यों के निरीक्षण, कार्यों में समयावधि के निर्णय तथा कार्याें के लिए अनुमोदित दरों में दर वृद्धि आदि के निर्णयों पर भिन्न-भिन्न प्रक्रिया अपनाई जा रही हैं। इससे सरकारी कॉन्ट्रेक्ट में भी प्रतिस्पर्धा में कमी आ सकती है।
श्री वर्मा ने बतौर उदाहरण बताया कि सामान्य वित एवं लेखा नियमों में यह प्रावधान रहा है कि आरोपी फर्मों को ब्लैक लिस्ट करने की कार्यवाही मजबूत आधार या भ्रष्टाचार निरोधक अनुसंधान एजेंसी की सिफारिष के बाद की जानी है जबकि राजस्थान उपापन एपं पारदर्षिता नियमों के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा ब्लैक लिस्टिंग की कार्यवाही आईपीसी या भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के अंतर्गत दोषी सिद्ध हो जाने पर ही की जा सकती है। इसी प्रकार अधीनस्थ विभागों द्वारा 7-8 परिस्थतियों में फर्मों की ब्लैक लिस्टिंग की जा सकती है, परंतु संवेदक द्वारा कार्य धीमी गति से करना इसमें शामिल नहीं है, जबकि सामान्य वित एवं लेखा नियमों में इस प्रकार का प्रावधान रहा है।
उन्होंने बताया कि वर्किंग गु्रप द्वारा इस प्रकार के विरोधाभासी कानूनों या नियमों की समीक्षा कर वित्त विभाग को आवष्यक सिफारिषें प्रस्तुत की जाएगी, जिससे अधीनस्थ विभागों को कार्य के लिए प्रावधानों की स्पष्टता सुनिष्चित की जाएगी। इस गु्रप द्वारा राजस्थान लोक उपापन पारदर्षिता एक्ट तथा नियमों में विद्यमान अनुपयोगी प्रावधानों को विलोपित करने की सिफारिष भी की जाएगी, साथ ही लोक निर्माण वित्तिय एवं लेखा नियम तथा सामान्य वित एवं लेखा नियम के प्रावधानों में एकरूपता लाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
जलदाय विभाग के सचिव ने बताया कि इस समिति के सदस्यों का एक स्थाई समूह गठित किया गया है, जो अपनी प्रथम रिपोर्ट एक महीने के भीतर तथा इसके बाद हर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट वित विभाग को प्रस्तुत करेगा। उन्होंने बताया कि इस समिति की कार्यवाही प्रक्रियादि का संचालन जलदाय विभाग करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार के समूह के गठन जैसे नवाचार कई पष्चिमी देषों में कार्यषील हैं, जिससे इन देषों में अच्छे परिणाम भी मिले हैं। गौरतलब है कि इस प्रकार के वर्किंग गु्रप -आधारित प्रक्रिया को लागू करने वाला राजस्थान देष का प्रथम राज्य है।
सचिव ने बताया कि समिति के गठन से मुख्यमंत्री महोदया की राज्य में ‘‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’’ की घोषणा क्रियान्विति की ओर सकारात्मक पहल होगी, क्योंकि राजकीय निर्माण कार्यों में वर्तमान कम प्रतिस्पर्धा में सुधार होने से नए निवेषकों और विनिर्माताओं को ज्यादा सुविधाएं मिलंेगी।

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