रिलायंस के ब्रांड दूत प्रधानमंत्री मोदी

Modi-reliance-ad-Jio_020916-071540वक्त बतायेगा कि रिलायंस ने प्रधानमंत्री की साख का इस्तमाल किया है या ख़राब कर दिया है। रिलायंस जियो एक विशुद्ध व्यापारिक उद्यम है। उसमें कोई बुराई नहीं लेकिन इस विज्ञापन से क्या हम ये समझें कि रिलायंस अपने मुनाफ़े का बड़ा हिस्सा सरकार को ट्रांसफ़र करेगा। यह कहा गया है कि जियो प्रधानमंत्री के विज़न को समर्पित है। अखबारों के पहले पन्ने पर जो विज्ञापन छपा है उसमें प्रधानमंत्री का चेहरा कंपनी के नाम और लोगो से भी बड़ा है। जबकि सरकार का कानून आने वाला है कि सेलिब्रेटी ब्रांड को एंडोर्स करेंगे तो उसकी गुणवत्ता की ज़िम्मेदारी भी उन्हें लेनी होगी। इस प्रस्तावित कानून के अनुसार क्या प्रधानमंत्री रिलायंस जियो की जवाबदेही लेंगे?
यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या रिलायंस ने प्रधानमंत्री कार्यालय की अनुमति ली थी ? किसी योजना को प्रधानमंत्री के विज़न से जोड़ देने में बुराई नहीं है लेकिन जिस तरह से तमाम अख़बारों में विज्ञापन छापा गया है वो जोड़ने से आगे की बात है। अब पूछा जाना चाहिए कि क्या रिलायंस पिछले कई सालों से नरेंद्र मोदी के विज़न से प्रभावित होकर आप्टिकल फ़ाइबर बिछा रहा था या सत्ता में आने के बाद दोनों का विज़न मैच हो गया है।
प्रधानमंत्री ब्रांड हैं। उनके चेहरे को किसी विज्ञापन की ज़रूरत नहीं है। रोज़ सैंकड़ों सरकारी विज्ञापन अखबारों के पन्नों पर छपते हैं जिसमें उनका चेहरा होता है। वे प्रभावशाली भी हैं। इसमें कोई शक नहीं तभी तो उनके इंटरव्यू के फ्रेम नीचे फ़्लैश हो रहा था कि देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति का इंटरव्यू देखिये। जो व्यक्ति ख़ुद को सेवक बताकर प्रस्तुत करता रहा उसे कम से कम ऐसे संबोधनों से असहज होना चाहिए। वरना एक दिन ऐसा विज्ञापन न छप जाए जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जगह रिलायंस स्वयंसेवक संघ लिखा होगा। हमारी राजनीति उद्योगपतियों की गोद में रहती है। कांग्रेस हो या बीजेपी। साथ साथ चलने में बुराई नहीं है मगर कोई तो रेखा है जहाँ से दोनों के बीच एक दूरी भी दिखाई देती है या वो रेखा मिट गई है। मुझे हैरानी है कि इसमें सरकार और बीजेपी को कोई आपत्ति नज़र नहीं आती। अनादर नहीं कर रहा लेकिन कल से लक्स कोज़ी और रूपा फ़्रेंची वाले भी प्रोत्साहित होकर अपने बिज़नेस विज़ुनेस को प्रधानमंत्री के विज़न से जोड़ बैठे तो क्या होगा। कूकर और सैंडल तो फिर भी ठीक है।
नोट: जो लोग पत्रकारिता और एक दो पत्रकार से उम्मीद करते हैं उन्हें अपनी उम्मीद की यह दुकान हमेशा के लिए बंद कर देनी चाहिए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, रिलायंस और प्रधानमंत्री से उम्मीद करनी चाहिए। जियो और जीने दो। मनीष शर्मा आम नागरिक
[9/3, 7:54 PM] Manish Sharma W: PM मोदी के रिलायंस JIO के विज्ञापन में दिखने के क्या मायने है ये अब धीरे धीरे देश का जनमानस समझने लगा है । मीडिया के बनाए तिलिस्म के भरोसे नरेंद्र मोदी और भाजपा की यही थी कि देश की जनता को जब चाहे मूर्ख बनाया जा सकता है और इसी over confidence में नरेंद्र मोदी भारी गलती कर गए और अपने महिमामंडन के नशे में ये तक भूल गए कि उनकी प्राथमिकता लगातार घाटे में जा रहे BSNL को संभालना है न कि रिलायंस की 4G सिम बेचना ।

अंबानी अडानी जैसे उद्योगपतियों के पैसे पर अपनी राजनीती चमका कर खुद को भारत माँ का लाल बताने वाले देश के धुरंधर प्रधानमंत्री एक के बाद एक हर क्षेत्र हर दिशा में वर्षों से कार्यरत सरकारी ढांचों और उपक्रमों को ध्वस्त कर अपनी भारत माँ को चंद उद्योगपतियों के हाथ बेचने पर आमादा है ।

टेलीकॉम सेक्टर के जानकार ये भी संभावना जताते है कि जल्द ही BSNL स्वयं के लिए स्पेक्ट्रम लेने की बजाय रिलायंस के स्पेक्ट्रम से शेयरिंग प्राप्त करेगा । यानि BSNL का ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनेट रिलायंस से उधार लेकर चलेगा ।

लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि टेलीकॉम सेक्टर पहला ऐसा सेक्टर नहीं है जिसमें मोदी सरकार ने रिलायंस के प्रति अपनी गहरी स्वामिभक्ति का परिचय दिया हो । ऐसी कई करतूतें मोदी सरकार पिछले दो साल में कई बार कर चुकी है चाहे वो डिफेन्स में FDI लागू होने पर सरकार की तरफ से लाइज़निंग करने के लिए रिलायंस को नियुक्त करना हो या फिर मोदी के PM बनने के 4 महीने के भीतर ही रिलायंस के देश भर में बंद पड़े 19 हज़ार से ज़्यादा पेट्रोल पम्प का खुल जाना हो ।

ऐसा ही एक उदाहरण आपको मिलेगा ONGC के मामले में ।

पिछले वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत सरकार के एक महत्वपूर्ण उपक्रम ONGC को दो बड़े झटके देते हुए उसे इस हाल में ला दिया है जहाँ से शायद आने वाले दस सालों के अंदर ONGC का नामोनिशान मिट जाएगा । पहले झटके के तौर पर PM मोदी ने ONGC में निजी निवेश को मंज़ूरी दे दी और ये निवेश किया उनके आका मुकेश अंबानी ने ।

इसमें गौर करने वाली बात ये है कि ONGC भारत सरकार के लिए एक constant profit makin body था, यानि उसकी वित्तीय स्थिति में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसके चलते निजी निवेश से धन जुटाने की ज़रूरत पड़े । देखते ही देखते एक पुराने और लगातार लाभ देने वाले सरकार के उपक्रम से बिना कुछ किए मुनाफा कमाने लगी रिलायंस ! और बहाना ये बनाया गया कि इस से सरकारी खजाने को एकमुश्त 1600 करोड़ रूपए मिले ।

1600 करोड़ वो रकम है जिसका एक चौथाई यानि 400 करोड़ तो PM मोदी की एक साल की सुरक्षा में खर्च हो जाता है यानि सरकार का खजाना अचानक से कुबेर का खजाना हो गया हो ऐसी भी कोई बात नहीं थी ।

PM मोदी यहीं नहीं रुके, इस मंज़ूरी के बाद उन्होंने ONGC को और बड़ा झटका दिया और ONGC के सबसे बड़े सप्लाई हेड्स या साधारण भाषा में कहे सबसे बड़े ग्राहक में से एक भारतीय रेलवे को डीज़ल सप्लाई करने का काम ONGC से छीनकर रिलायंस पेट्रोलियम को दे दिया । अब ONGC दो तरह से पीटा हुआ है, पहला जो काम उसके पास है उसमें से कमाए पैसे में भी मुकेश अंबानी का हिस्सा और पुराने ग्राहकों को भी एक एक करके रिलायन्स को सौंपा जा रहा है और ज़ाहिर है इसमें ONGC को तो कोई हिस्सा मिलना नहीं है ।

अब रही बात कि ये सारी जानकरियाँ सार्वजानिक क्यों नहीं होती ।

इस समय देश में हिंदी और गैरहिन्दी भाषी लगभग 90 से ज़्यादा चैनल्स है जिन्हें 24hour broadcast की अनुमति प्राप्त है । ये 90 से ज़्यादा चैनल्स आज से तीन साल पहले तक 39 अलग अलग मीडिया ग्रुप्स द्वारा संचालित किए जाते थे । आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि चैनल्स की संख्या वही है लेकिन संचालन करने वाले ग्रुप्स 39 से 21 रह गए है ।

ऐसा इसलिए क्योंकि इन तीन सालों में network18 नामक एक मीडिया ग्रुप ने 18 ग्रुप्स को खरीद कर अधिगृहित कर लिया । और इस network18 ग्रुप के मालिक का नाम है “मुकेश अंबानी”

यानि जो न्यूज़ चैनल्स पर हर शाम आपको गाय, गोबर, गौमूत्र, लवजिहाद, ISIS, पाकिस्तान, चीन और मंदिर मस्जिद दिखाया जाता है जिसे देखकर आपका खून खौल उठता है वो कोई जोश नहीं बल्कि एक तरह का ड्रग्स है जो आपकी भावनात्मक नसों में घोला जा रहा है ताकि अपने ही देश को लूटने वाले चंद गद्दार तथाकथित राष्ट्रवादियों और उद्योगपतियों को देखने और देखकर प्रतिकार करने की क्षमता देश के लोगों में न रह पाए ।

यूँ समझ लीजिए ईस्ट इंडिया कंपनी-II का जन्म इस बार भारत के अंदर ही हुआ है और इसे सुरक्षा देने वाली “खाकी चड्डी” पहनी पुलिस तो है ही ।

प्रस्तुति मनीष शर्मा अजमेर

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