(बाबूलाल नागा) जयपुर, 10 सितंबर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राजस्थान राज्य कमेटी के दो दिवसीय (10-11 सितंबर, 2016) के कार्यक्रम में पधारे भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी ने प्रेस वार्ता में अपने संबोधन में कहा कि आज मोदी सरकार के काल में देष के सामने आर्थिक, सामाजिक, संवैधानिक एवं राजनैतिक संकट गहरे हुए हैं। केंद्रीय की भाजपा सरकार देष के संवैधानिक मूल्यों पर चोट करते हुए मनमाने आचरण को पेष कर रही है। चुनी हुई अरूणाचल व उत्तराखंड की राज्य सरकारों की बर्खास्तगी इसका उदाहरण है। यदि सर्वोच्च न्यायालय का हस्ताक्षेप ना हुआ होता तो क्रमषः सभी राज्य सरकारें जो विपक्ष दलों की हैं बर्खास्तगी की षिकार हो जाती। हमारी विदेष नीति नकारात्मक हो रही है, पड़ोसियों से संबंध बिगड़े हैं, भारत अमरीका का जूनियर रणनीतिक साझेदार बन गया है।
कष्मीर के घटनाक्रम पर बोलते हुए कहा कि हमारे स्पष्ट सुझाव पर कि राजनीतिक समाधान से ही समस्या सुलझ सकती है। इस सरकार ने पहले अनदेखी की परंतु जब बात नहीं बनी तो दिखावे के लिए सभी राजनैतिक दलों का प्रतिनिधि मंडल कष्मीर के दौरे पर ले जाया गया, परंतु सरकारी इच्छा शक्ति के अभाव में कोई कारगर पहल नहीं हो सकी देष में गौरक्षा के नाम पर एक भय का वातावरण बनाया जा रहा है और लक्षित करके दलित तथा मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ना दी जा रही है। गुजरात में ऊना की घटना हो या उत्तरप्रदेष में बीफ को लेकर अखलाक की हत्या इसके उदाहरण हैं। अभी बकरीद के दो दिन शेष हैं, हरियाणा के मेवात क्षेत्र में बिरयानी में बीफ (गौमास) को लेकर जगह-जगह जांच की जा रही है और भय का वातावरण बना दिया गया है। ऐसे वातावरण में मुस्लिम समुदाय अपना त्यौहार मनाने में परेषानी का सामना कर रहा है।
देष में निरंतर औद्योगिकरण की स्थिति बदतर हो रही है, कारखाना बंदी बढ़ी है लेकिन औद्योगिकरण के नाम पर जमीन की लूट जारी है। देष में गत वर्ष 0.7 प्रतिषत की दर से औद्योगिक विकास दर गिरी है। उत्पादन क्षेत्र में 0.6 प्रतिषत से ऋणात्मक विकास सामने आया है। महंगाई और बेकारी बेतहाषा बढ़ी है। गत वर्ष के मुकाबले बेकारी में 26 प्रतिषत की बढ़ोतरी हुई। सरकार के दिए आंकड़ों के अनुसार गत दो वर्ष में 135000 नए रोजगार पैदा किए गए जबकि चुनाव में सरकार ने वायदा किया था कि वह 2 करोड़ प्रतिवर्ष रोजगार देगी जबकि इस बीच में 1 करोड 30 लाख नौजवान रोजगार की लाईन में और जुड़ गए। देष के किसानों को दलहन का समर्थन मूल्य 52 रुपए किलो दिया जा रहा है जबकि विदेष से दाल का आयात 130 रुपए प्रति किलो किया जा रहा है। यह दाल देष के उपभोक्ताओं तक 200 रुपए प्रति किलो तक पहुंच रही हैं। किसान लुट रहा है, उपभोक्ता लुट रहा है और बिचोलिया मालामाल। किसान आत्महत्या कर रहा है परंतु इसे रोकने का कोई उपाय सरकार करने को तैयार नहीं है। 1,12,000 करोड़ रुपए की कर्ज माफी बड़े पूंजीपितयों को दो साल के भीतर इसी सरकार ने की है परंतु यह किसानों के लिए कोई राहत देने को तैयार नहीं है।
सीताराम येचुरी ने बताया कि जो देष के हालात हैं उससे किसान और मजदूर परेषान है और उन्होंने संघर्ष के रास्ते इसका विरोध भी दर्ज कराया है। 02 सितंबर, 2016 की मजदूरांे की देषव्यापी हड़ताल इसका उदाहरण है। दो हफ्ते बाद देष के पैमाने पर किसान मुद्दों पर ध्यान आकर्षण हेतु पदयात्राओं पर निकल रहे हैं। इसी बीच 16 सितंबर, 2016 को पूरे देष से दलित मोदी सरकार की उत्पीड़नकारी नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराने दिल्ली पहुंच रहे हैं।
राजस्थान राज्य कमेटी के सचिव कामरेड अमराराम ने राजस्थान की परिस्थितियों में मजदूरों किसानों के सामने जो समस्याएं आ रही हैं उनको लेकर आंदोलन चलाने की रणनीति बनाने की और तद्नुरूप आंदोलन खड़े करने की बात कही।