वॉट्सएप ग्रुप बनाकर पनप रहे हैं फर्जी पत्रकार

whatsapp-logo 450अगर आप पत्रकार नहीं है और पत्रकार बनने का ख्वाब देख रहे हैं, तो ले लीजिए एक स्मार्टफोन मोबाइल और WhatsApp एप इंस्टाल करके 2 से 4 ग्रुप बना लीजिए और हो जाइए एक पत्रकार ।
दिखाइए अपनी धौस
करिए खूब दलाली
जी हां, सुनने में जरूर अटपटा लगे लेकिन यह 16 आना सच है ।

नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में आजकल इसका खूब प्रचलन चल रहा है ।
पूछने पर न कोई किसी संस्थान का नाम बताते हैं और ना ही कोई परिचय पत्र दिखा पाते ।
कहते हैं सोशल मीडिया का पत्रकार हूं । ऐसे पत्रकारों की वजह से आज सम्मानित पत्रकारों को भी कभी-कभी बेइज्जत हो जाना पड़ता है ।

प्रदेश में पिछले कई दिनों से फर्जी पत्रकारों की मानो बाढ़ आ गई है,कोई फर्जी संगठन के नाम पर तो कोई किसी के नाम पर, क्योंकि हर तीसरे वाहन पर प्रेस लिखा देखा जा सकता है।
इनमें कई पत्रकार तो ऐसे हैं, जो कुछ दिन किसी अखबार से जुड़ कर दूर हो गए,
लेकिन वे गांवों में जा कर लोगों को डरा-धमकाकर अपने आपको किसी राष्ट्रीय अखबार का पत्रकार बताते हैं तथा उसमें खबर छापने की धमकी देकर लोगों से पैसे ऐंठ लाते हैं।
जब इस बात का पता ठगे हुए लोगों को चलता है तो ये फर्जी पत्रकार उन लोगों से बचते फिरते हैं।
सरकारी हो या गैर-सरकारी, किसी भी विभाग में यह लोग इस कदर सूट-बूट में जाते हैं कि हर कोई इनके चंगुल में फंस जाता है, यहाँ तक लोगो में अपना रौब गाँठने के लिए ऐसे पत्रकार जिले स्तर के अधिकारीयों को भी अपने ग्रुप में जोड़ लेते है , जिससे लोगों को दिखाकर धौंस कायम की जा सके ।और ये लोग इन्हें अपना शिकार बनाए बगैर नहीं छोड़ते है।
जैसे ही काम बन जाता है ये लोग वहां से रफू-चक्कर हो जाते है, और गलती से भी दुबारा उस जगह से नहीं गुजरते।
प्रेस लिखी गाडिय़ों को देखकर पुलिस भी इन लोगों का सम्मान करती है और असली पत्रकार से उलझ जाती है, क्योंकि इनकी चमक-दमक को देखकर पुलिस कर्मचारी भी असली और नकली की पहचान करने में चूक कर जाता है।
ये फर्जी पत्रकार दिखने में वीआईपी से कम नहीं लगते, इसी बात का फायदा उठाकर ये प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रहे है।
क्षेत्र मे ऐसा करने वाले पत्रकारों पर देश भर मे अभियान चला कर कार्रवाई किये जाने की सख्त जरूरत है।

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