गरीबों की सेवा ही पंडित दीनदयाल जी के लिए विनम्र श्रधांजलि

(पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर गोष्ठी)
aagra newsआगरा। अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी ने एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 100वीं जयंती पर पंडित दीनदयाल जी की तस्वीर पर श्रध्दा सुमन अर्पित कर उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। और एक गोष्ठी का आयोजन अरब सिंह राजपूत की अध्यक्षता में किया गया। जिसका संचालन ब्रह्मानंद राजपूत ने किया।

गोष्ठी को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के संपादक मानसिंह राजपूत एडवोकेट कहा कि कुछ लोग सिर्फ समाज बदलने के लिए जन्म लेते हैं और समाज का भला करते हुए ही खुशी से मृत्यु को गले लगा लेते हैं। उन्ही में से एक दीनदयाल उपाध्याय जी भी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के लोगों को ही समर्पित कर दिया। पंडित दीनदयाल जी एकात्म मानववाद के प्रणेता थे जिन्होंने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने का काम किया था। उन्होंने कहा की दीनदयाल उपाध्याय जी जो सपना संजोया था उसे आज मिलकर सारे देश को पूरा करना है।

अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उप-संपादक ब्रह्मानंद राजपूत ने कहा कि कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता थे। वे समाजिक एकता एवं समरसता के पक्षधर थे। उनका कहना था कि सादा जीवन उच्च विचार रखकर ही मानव समाज विकास कर सकता है। दीनदयाल जी का प्रारम्भिक जीवन दीन हीन और गरीबों की सेवा से जुड़ा रहा है, समाज के अनुन्नत वर्ग को समुन्नति के रास्ते पर आगे बढ़ाना ही एकात्म मानव दर्शन की सफल परिणति होगी। गरीबों की सेवा ही पंडित दीनदयाल जी के लिए विनम्र श्रधांजलि होगी। उन्होंने कहा कि आज सभी देशवासिओं को एकात्म मानववाद दर्शन जानने की आवश्यकता है।

पवन राजपूत ने कहा की पंडित दीनदयाल जी राजनीति में भारतीय संस्कृति एवं परम्परा के प्रतिनिधि थे। उनका स्थान सनातन भारतीय प्रज्ञा प्रवाह को आगे बढाने वाले प्रज्ञा-पुरुषों में अग्रगण्य है। सादा जीवन उच्च विचार की प्रतिमूर्ति पंडित उपाध्याय जी के विचारों में देश की मिटटी की सुवास को अनुभव किया जा सकता है। वह वास्तव में राजनीति में ऋषि परम्परा के मनीषी थे।

इस मौके पर अरब सिंह राजपूत, प्रभाव सिंह, धारा राजपूत, दुष्यंत लोधी, मोरध्वज राजपूत, नीतेश, राकेश, विष्णु लोधी, बंटी लोधी, दीपक राजपूत, मुकेश, लोकेश, दिनेश, जीतू राजपूत, धर्म राजपूत, राजवीर, राहुलसिंह, सोहन सिंह राजपूत, वेद प्रकाश, आदि उपस्थित रहे।

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