एक गॉव में एक भीखारी सुबह से षाम तक भीख मॉगता था। वह सभी धर्मो का सम्मान करता था। उसके आगे पीछे कोई नहीं था। एक दिन उसने दुनिया को अलविदा कहा। सब गंाव वालों ने मिल कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया । जब उसकी खोली को खोला गया तो उसमें दो बोरे सिक्के निकले । ब्राह्मण के सुझाव के अनुसार पंचायत में निर्णय हुआ ,उसका ठाट से श्राद्ध व तेरवां कर दिया जावे। सर्वसम्मति से कई तरह की मिठाईयॉ व नमकीन बनाए गए । घी से तर बासमति चावल ,हरहर की गाढ़ी दाल व खीर परोसी गई । भैंस तो कई गरीबो ने देखी थी व उसके घी का नाम भर सुना था पहलीबार घी का स्वाद चखा। ऊधर सेठो में सिक्के के बोरों के बदले नोट देने पर होड़ लगने लगी। सुदिजनों ने फैसला दिया कि जो सिक्कों की ज्यादा बोली लगायेगा उसे सिक्के गिनकर दे दिये जावेंगे। 99 सिक्के के बदले 100 के नोट से बोली चालू हुई। अखिरी बोली 95 सिक्के के बदले सौ के नोट पर टूटी। ष्षुरु दिन से तेरहवें व पन्द्रहवें तक के श्राद्ध का खर्च काटने के बाद हजारों रुपये फिर भी बचे। पुनः ज्ञानचंदों ने पंचायत में बैठकर सलाह की। पंडितजी बोले- उसकी खोली की जगह मंदिर बना दिया जावे। मुल्लाजी बोले- मंदिर तो बहुत है ,यहॉ मस्जिद बना दी जावे। क्रिष्चियन पार्षद बोले- गिरजा घर बना दिया जावे । सरदारजी भी चुप नहीं बैठे उन्होंने गुरुद्वारा बनाने का सुझाव दिया।एक सेकुलर पार्टी वाले ने सर्वधर्म सभा खोलने की सलाह दी । एक सज्जन चुप थे, उनसे भी सभी ने राय ली । उन्होंने कहा- खोली की जगह पानी की टंकी बना दी जावे। विधायक महोदय को पता चला तो वे बहती गंगा में हाथ धोने आ गये। आने वाले चुनावों को देखते हुए जन भागीदारी में काम कराने व आधा पैसा विधायक मद से देने की सहमति दे दी। सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों ने बिना कमीषन लिये जन भागीदारी में हाथ बटाया। गॉव के ही ठेकेदार ने पानी की टंकी बना कर अपनी माली हालत सुधार ली । ग्राम पचायत ने घर-घर नल कनेक्षन दे दिये।क्रियाकर्म में अच्छा धन मिलने से पंडित की दरिद्रता दूर हुई । सरदारजी के बर्षो से जंक खा रहे नल पाईप बीक गये। मुल्लाजी की नल की टोटी व सॅावर खप गये । क्रिष्चियन पार्षद की स्कूल तक नल कनेक्षन पहुॅच गया उससे छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई। विधायक महोदय पुनः विधायक बनने में सफल हो गये। भीखारी की आत्मा श्राद्ध से व गॉव की एकता देखकर तृप्त हो गई। गॉव का हर निवासी जन भागीदारी की नल -जल योजना के जल से तृप्त हुआ। देखते ही देखते वह गॉव राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन कर आदर्ष गॉव हो गया।
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साहित्य कुटीर ,गणगौर साधना केन्द्र, पंडित रामनारायण उपाध्याय वार्ड 450001 खण्डवा म0प्र
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