गरीब और मिडिल क्लास नागरिकों के लिए भारत में जितना सुगम और सरल और सस्ता सुलभ यातायात का अवसर रेलवे प्रदान करती है वास्तव में यह एक सराहनीय कार्य है वहीँ दूसरी ओर भारत के अभिजात्य और धनाढ्य वर्ग के लोगों के लिए प्रीमियम ट्रेनों का संचालन भी करती है सरकार । रेल द्वारा प्रतिदिन लाखों लोग गांवों कस्बो और छोटे शहरों से महानगरों में नौकरीयां और व्यापर करने के लिए यात्रा करतें है ? इसीलिए हम देखते हैं कि किसी भी शहर में रेलों की स्थिति यह होती है कि जनरल डिब्बे में तो यात्री जानवरों की तरह भरे रहते है । आरक्षित डब्बो में महीनो पहले आरक्षण करवाने के बाद भी सीट बर्थ नहीं मिलती ? लेकिन अब मीडिया में चल रही ख़बरों के अनुसार जहां सरकार बुलेट और टेलगो ट्रेनों के संचालन को वरीयता दे रही है वहीँ रेलवे आरक्षण में गरीबो और मिडिल क्लास लोगों के साथ मजाक कर रही है जब यह घोषणा की जाती है कि दुरंतो, राजधानी और सुपेटफास्ट ट्रेनों में प्रत्येक 10 प्रतिशत बुकिंग होने पर अगली 10 प्रतिशत बुकिंग पर टिकट दर में 10 % वृद्धि की जायेगी ? पता नहीं ये सुरेश प्रभु की लीला है या मोदी लीला है । शायद सरकार विशुद्ध रूप में बनिया गीरी पर उतर आई है जिस कारन उसे सरकार के प्रत्येक काम में मुनाफा चाहिए । लेकिन तब बहुत अजीब सा कसैला स्वाद दिमाग में घुसता है जब सरकार के मुखिया करोड़ों डॉलर पडोसी देशों एवं अफ़्रीकी देशों को दान में दे देते हैं जैसे यह पैसा गरीब जनता का ना होकर जैसे उन्होंने स्वयं जमा करके रखा हुआ था ?
S P Singh