बाडमेर 01.01.2017
शरीर साधन लिये जैसे है जलपान, वैसे ही मन के लिये सतसंग प्रमाण’’ जिस प्रकार शरीर को चलाने के लिये भोजन आवष्यक है। वैसे ही हदय मन को साफ रखने हेतु सतसंग आवष्यक है। हमें नित्य थोड़ा समय निकाल भगवत भजन करना चाहिये। सभी शास्त्रों का एक ही सार है कि बिना सतसंग विवके की प्राप्ति नहीं होती है। ये भगवान की कृपा से ही संभव है। लक्ष्मणदास महाराज गुलेच्छा ग्राउण्ड में चल रही देवी भागवत प्रसंग में कहा। मनुष्य चाहे कितना ही तीर्थ करले, दान करदे पर मन में दुर्भावना है। उसका किया सब बेकार है। मां भगवती ने हमेषा निर्मल हदय व साफ मन का ही साथ दिया और जो कुटिल है मन में द्वेष है उसका ही नाष करती है। जिसमें काम क्रोध, लोभ, मोह, मद भरे है। उसका कभी हित नहीं हो सकता। वो कभी प्रभू को नही ंपा सकते है। ये सब नरक के द्वार है। वो प्राणी कभी भी मोक्ष को प्राप्त नहीं हो सकता है। हमें ऐसे विकारों को दूर हटाकर संत शास्त्र जो कहे उस पर चलना चाहिए। जो इन विकारों से रहित हैै। उस पर भगवती की कृपा सदैव बनी रहती है वो भगवत धाम को प्राप्त होता है। सब वैदों का सार राम ही है क्योंकि अन्त में यही नाम हमें पार लगाता है। जिसने संसार में जन्म किया है उसकी मृत्यु निष्चित है। हमें चाहे जितने भी उपाय करें। पर जिस समय मौत को आना है वह अटल है देवी भागवत में अनेकों राक्षसो ने मृत्य पर विजय पाने हेतु तप किया पर वो भी इससे बच नहीं पाए।
आज संत का माल्यार्पण दुर्गा शंकर, डॉ. जीसी लखारा, प्रेमाराम माली, सदगुरू ऑफसेट, प्रसादी का लाभ कान्तिलाल माहेष्वरी ने किया ।
दुर्गाषंकर शर्मा
कथा आयोजक