बकाया एरियर राशि व अन्यि बकाया परिलाभ देने के आदेश

आदेश दिनांक 28.03.2002 के अनुसार नियमानुसार देय 3 अग्रिम वेतन वृद्धि का लाभ देते हुये वेतन स्थिरीकरण कर बकाया एरियर राशि का भुगतान, छठे वेतन आयोग का लाभ, ग्रेच्यूटी की राशि एवं बकाया उपार्जित अवकाश के नकदीकरण की राशि मय ब्याज भुगतान के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)

jaipur samacharजयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, श्री माहेश्वरी उच्च माध्यमिक विद्यालय, जयपुर (राज.) को आदेश दिया कि वे प्रार्थी सत्यनारायण गुप्ता के वेतन का स्थिरीकरण राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अन्तर्गत करते हुये बकाया वेतन की अन्तर राशि का नकद भुगतान करे तथा प्रार्थी को आदेश दि0 28.03.2002 के अनुसार नियमानुसार देय 03 अग्रिम वेतन वृद्धि का लाभ देते हुये प्रार्थी का वेतन स्थिरीकरण किया जाकर अप्रेल, 2002 से फरवरी, 2007 तक की वेतन वृद्धि के एरियर की बकाया राशि प्रदान की जावे तथा वेतन स्थिरीकरण के उपरान्त देय अन्तिम वेतन के आधार पर उपदान की राशि एवं बकाया उपार्जित अवकाश के नकदीकरण की राशि का भुगतान बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी की नियुक्ति कनिष्ठ लिपिक के पद पर दिनांक 11.07.1974 को अप्रार्थी संस्था में चयन समिति द्वारा सम्पूर्ण प्रक्रिया अपनायी जाकर हुई थी। तत्पश्चात् प्रार्थी की पदोन्नति वरिष्ठ लिपिक के पद पर दि. 01.07.1993 एवं पुनः ऑफिस असिस्टेण्ड के पद पर दि0 01.04.1995 एवं प्रशासनिक अधिकारी के पद पर दि0 01.04.1999 को हुई। तत्पश्चात् प्रार्थी का समायोजन स्वेच्छिक ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम 2010 के अन्तर्गत दि0 30.06.2011 को राज्य सरकार में हो गया, परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थी को छठे वेतन आयोग का लाभ, आदेश दि0 28.03.2002 के अनुसार नियमानुसार देय 03 अग्रिम वेतन वृद्धि का लाभ प्रदान करते हुये उसका वेतन स्थिरीकरण किया जाकर अप्रेल, 2002 से फरवरी, 2007 तक की वेतन वृद्धि के एरियर की बकाया राशि, उपदान की राशि एवं उपार्जित अवकाश के नकदीकरण की राशि का भुगतान नहीं किया गया। प्रार्थी द्वारा समायोजन के पश्चात् उक्त लाभ देने हेतु कई बार निवेदन किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था ने प्रार्थी के निवेदन को अनसुना कर दिया। तत्पश्चात् प्रार्थी ने परेशान होकर जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत कर उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से दिलाने के लिए माननीय अधिकरण से निवेदन किया। प्रार्थी के अधिवक्ता का तर्क था कि प्रार्थी की नियुक्ति अनुदानित पद के विरूद्ध हुई है तथा अप्रार्थी संस्था राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होते हुए 90 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करती है इसलिये अप्रार्थी संस्था पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 और नियम, 1993 के प्रावधान लागू होते है और उक्त नियमों एवं प्रावधानों के अनुसार प्रार्थी उपरोक्त समस्त लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त सभी लाभ बकाया होने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।

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